अहमदाबाद
अहमदाबाद में 2008 में हुए विशेष अदालत ने अहमदाबाद में 2008 में हुए सीरियल ब्लास्ट के 49 गुनहगारों को सजा दी। 38 के लिए सजा-ए-मौत मुकर्रर की गई है। 11 ताउम्र कैद में रहेंगे।सीरियल ब्लास्ट में 56 लोगों की जान गई थी।
फैसला ऐतिहासिक है, क्योंकि देश के इतिहास में पहली बार एक साथ 38 लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई है। इससे पहले केवल राजीव गांधी हत्याकांड ही था, जिसमें एक साथ 26 लोगों को सजा सुनाई गई थी।
78 में से 29 बरी और एक सरकारी गवाह बना
8 फरवरी को सिटी सिविल कोर्ट ने 78 में से 49 आरोपियों को UAPA (गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम) के तहत दोषी करार दिया था। इनमें से एक दोषी अयाज सैयद को जांच में मदद करने के लिए बरी किया जा चुका है। 29 आरोपी सबूतों के अभाव में बरी हो चुके हैं। फैसले के वक्त कोर्ट ने धमाकों में मारे गए लोगों के परिजनों को एक लाख, गंभीर घायलों को 50 हजार और मामूली घायलों को 25 हजार रुपए की मदद देने का भी आदेश दिया।
70 मिनट में हुए थे 21 धमाके
26 जुलाई 2008, यही वह दिन था जब 70 मिनट के दौरान 21 बम धमाकों ने अहमदाबाद की रूह को हिलाकर रख दिया। शहर भर में हुए इन धमाकों में 56 लोगों की जान गई, जबकि 200 लोग घायल हुए थे। धमाकों की जांच-पड़ताल कई साल चली और करीब 80 आरोपियों पर मुकदमा चला। पुलिस ने अहमदाबाद में 20 FIR दर्ज की थीं, जबकि सूरत में 15 अन्य FIR दर्ज की गई थी, जहां विभिन्न स्थानों से जिंदा बम भी बरामद किए गए थे।
नहीं फट पाए थे 29 बम
ब्लास्ट के बाद गुजरात की सूरत पुलिस ने 28 जुलाई और 31 जुलाई 2008 के बीच शहर के अलग-अलग इलाकों से 29 बम बरामद किए थे, जिनमें से 17 वराछा इलाके में और अन्य कतारगाम, महिधरपुरा और उमरा इलाके में मिले थे। जांच में पता चला कि गलत सर्किट और डेटोनेटर की वजह से इन बमों में विस्फोट नहीं हो पाया था।
DGP आशीष भाटिया के नेतृत्व में बनाई गई थी स्पेशल टीम
गुजरात के तत्कालीन CM नरेंद्र मोदी के आदेश पर JCP क्राइम के नेतृत्व में अहमदाबाद क्राइम ब्रांच की एक विशेष टीम का गठन किया गया था। DGP आशीष भाटिया ने इस टीम को लीड किया। वहीं, इस टीम में अभय चुडास्मा (DCP क्राइम) और हिमांशु शुक्ला (ASP हिम्मतनगर) ने अहम भूमिका निभाई। मामलों की जांच तत्कालीन DSP राजेंद्र असारी, मयूर चावड़ा, उषा राडा और वीआर टोलिया को सौंपी गई थी। अहमदाबाद क्राइम ब्रांच की इस विशेष टीम ने 19 दिनों में मामले का पर्दाफाश किया था और 15 अगस्त 2008 को गिरफ्तारी का पहला सेट बनाया था।