83 गवाहों वाली 2000 पन्नों की चार्जशीट हुई थी दायर
चंडीगढ़
कोर्ट ने जालंधर के पूर्व बिशप फ्रेंको मुलक्कल को नन रेप केस में बरी कर दिया। केरल के कोट्टायम में एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन कोर्ट के जज जी गोपाकुमार ने फैसला सुनाया। इस दौरान कोर्ट में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था थी। फ्रेंको मुलक्कल पर नन ने रेप के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध जैसे संगीन आरोप लगाए थे।
मुलक्कल के खिलाफ 83 गवाह थे। इस केस में कोर्ट में 2019 में 2 हजार पन्नों की चार्जशीट दाखिल की गई थी, जिसके साथ लैपटॉप, मोबाइल और मेडिकल टेस्ट समेत 30 सुबूत लगाए गए थे। बरी होने के बाद मुलक्कल ने इसे भगवान का बड़प्पन कहा। वहीं नन पक्ष ने कहा है कि वह उच्च अदालत में जाएंगे।
नन ने लगाए थे यह आरोप
जून 2018 में केरल की नन ने रोमन कैथोलिक के जालंधर डायोसिस के तत्कालीन बिशप फ्रैंको मुलक्कल पर यौन शोषण का आरोप लगाया था। पुलिस को दिए बयान में कहा था कि मुलक्कल ने कुराविलंगद के एक गेस्ट हाउस में उससे दुष्कर्म किया था, फिर कई दूसरे राज्यों के गेस्ट हाउस में भी लेकर गया। वह लगातार यौन शोषण करता रहा। उसके साथ मई 2014 से सितंबर 2018 के बीच 13 बार दुष्कर्म किया गया। नन ने चर्च प्रशासन से कई बार शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होने पर पुलिस में कंप्लेंट दी।
पूछताछ के लिए बुलाया गया था, गिरफ्तार कर लिया
जांच के बाद 28 जून 2018 को मुलक्कल के खिलाफ केस दर्ज किया गया। फिर केरल पुलिस ने फ्रैंको मुलक्कल को जांच के लिए केरल बुलाया। कड़ी पूछताछ के बाद 21 सितंबर 2018 को मुलक्कल को गिरफ्तार कर लिया गया। एक माह जेल में काटने के बाद मुलक्कल को केरल हाईकोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ जमानत दे दी। जिसमें पासपोर्ट जमा कराने, केरल से बाहर रहने से लेकर कई तरह की शर्तें लगाई गईं थी।
संगीन धाराओं में पेश हुई थी चार्जशीट
मुलक्कल के खिलाफ IPC की धारा 342 (गलत तरीके से बंद रखने), 376C (पद का दुरुपयोग कर यौन संबंध बनाने), 377 (अप्राकृतिक यौन संबंध) और 506(1) (धमकी) के तहत आरोप लगाए गए थे। चार्जशीट में 83 गवाह बनाए हैं।
सायरो मालाबार कैथोलिक चर्च के मेजर आर्कबिशप कार्डिनल जॉर्ज एलेनचेरी, पाला डायोसिस बिशप जोसेफ कल्लारंगट, भागलपुर बिशप कुरियन वलियाकंडाथिल और उज्जैन डायोसिस के बिशप सेबेस्टिन वडाक्किल के साथ 11 पादरी और 25 नन भी शामिल हैं।
10 गवाहों ने Cr.P.C. के सेक्शन 164 के तहत मजिस्ट्रेट के आगे बयान भी दर्ज कराए हैं। बयान दर्ज करने वाले 7 मजिस्ट्रेट भी इस केस में बतौर गवाह शामिल हुए।
सजा होती तो इतिहास का पहला मामला होता
पूर्व बिशप मुलक्कल पर आरोप लगने के बाद पोप ने उसे जालंधर डायोसिस से हटा दिया था। इस केस के खिलाफ मुलक्कल हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी गया कि उसके खिलाफ लगे चार्ज खारिज किए जाएं। उच्च अदालतों ने इसमें हस्तक्षेप से इनकार कर दिया। इस मामले में सबकी नजर इसलिए अहम थी कि अगर मुलक्कल को सजा होती तो यह इतिहास की पहली बड़ी घटना बन जाती, जिसमें यौन उत्पीड़न के मामले में भारत के कैथोलिक चर्च में किसी बड़े पादरी को सजा होती।