वैट की मार : झारखंड के पेट्रोल पंप बंदी के कगार पर, राज्य पेट्रोलियम एसोसिएशन ने सीएम से लगाई गुहार

झारखंड पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री को एक पत्र लिख कर दावे के साथ कहा है कि वैट की दर झारखंड सरकार कम करे तो बिक्री बढ़ने से जो राजस्व में वृद्धि होगी वह वर्तमान रकम से ज्यादा होगी, ऊपर से राज्य वासी महंगाई में कमी से सरकार को दुआएं देंगे अलग से। एसोसिएशन ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने 18 प्रतिशत से बढ़कर 22 प्रतिशत वैट दर और 1 रुपया प्रति लीटर डीजल पर जो सेस लगाया उसके बाद राज्य सरकार के राजस्व में लगातार कमी आयी क्योंकि राज्य में खरीद कम होती चली गयी। वैट दर अधिक होने से वाहन और बड़ी कंपनियां पड़ोस में उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल से पैट्रोलियम पदार्थ की खरीद करते हैं जहां क्रमशः लगभग 4 और पौने 2 रुपये का प्रति लीटर अंतर आता है।
एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक सिंह ने मुख्यमंत्री को लिखे गए पत्र में तेल कंपनियों, राज्य सरकार और एसोसिएशन के प्रतिनिधियों की एक उच्च स्तरीय कमिटी बना कर इस दावे की सच्चाई जान लेने का अनुरोध किया है और कहा है कि अगर बात सच पाई गई तो उसे लागू किया जाए और नहीं पाई गई तो जनता को वस्तुस्थित से अवगत कराया जाय। झारखंड में लगभग 1400 पेट्रोल पंप आज भारत वर्ष के पड़ोसी राज्यों से महंगा तेल डीजल होने के कारण फांकाकशी की ओर चल रहे हैं क्योंकि उनका सेल मार खा गया है। इन पेट्रोल पम्पों पर असंख्य रोजी रोजगार भी जुड़े रहते हैं जो पम्पों को बदहाली के कारण बंद प्रायः हो गए हैं।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली सरकार ने भी उत्तर प्रदेश में पेट्रोलियम पदार्थों के कम मूल्य के कारण अपने प्रान्त की गिरती बिक्री के मद्दे नज़र वैट पर रेट कम करने को विवश हुई। झारखंड में इस मुद्दे पर एसोसिएशन ने बार बार रघुवर सरकार का ध्यान आकर्षित किया लेकिन सरकार ने ध्यान नहीं दिया। सब मोटे तौर पर वैट कम होने से आय कम होने की ही बात सोचते हैं लेकिन सिक्के के दूसरे पहलू को नहीं देखते कि वैट और रेट कम होने से जो सेल बढ़ेगा उससे कई गुना ज्यादा राजस्व की आय बढ़ेगी। एसोसिएशन ने तुलनात्मक डेटा शीट मुख्यमंत्री को सौंपा है और त्रि पक्षीय कमिटी बनाकर राज्य हित में निर्णय लेने का अनुरोध किया है।

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