जमशेदपुर 20 नवंबर
यह भोर सुहानी लगती है साझा काव्य संकलन का लोकार्पण आज साहित्यिक समूह फुरसत में* द्वारा तुलसी भवन में संपन्न हुआ. संचालिका डा मनीला कुमारी ने अतिथियों को मंच पर आमंत्रित किया. अतिथियों ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलन किया . वीणा पाण्डेय भारती द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना के साथ माधुरी मिश्रा ने अतिथियों का स्वागत किया, सभी को शाल एवं पुष्प गुच्छ प्रदान कर उनका अभिनंदन किया गया,, स्वागत के क्रम में डा0 सरितकिशोरी श्रीवास्तव ने सभी रचनाकारों, अतिथियों,का आभार जताया. मुख्य अतिथि,डा अरुण सज्जन,डा मनोज आजिज, अरुण तिवारी एवं प्रसेनजीत तिवारी ने रचनाकारों को अंगवस्त्रम् एवं प्रशस्ति-पत्र प्रदान कर सम्मानित किया . , इसके पश्चात यह भोर सुहानी लगती हैका लोकार्पण किया गया, जो साहित्यिक समूह* फुरसत म ेंकी तेरह सदस्य महिला रचनाकारों द्वारा प्रस्तुत प्रथम काव्य कृति है, जिसमें सभी विधाओं की रचनाएं शामिल हैं. रचनाकारों में आनंद बाला शर्मा, डा0 सरित किशोरी श्रीवास्तव, पद्मा मिश्रा, छाया प्रसाद, रेणुबाला मिश्रा, माधुरी मिश्रा, सुधा अग्रवाल, डा0 मनीला कुमारी, मीनाक्षी कर्ण, उमा सिंह, वीणा पाण्डेय, अनिता निधि, सरिता सिंह शामिल हैं. संपादक कवयित्री कथाकार पद्मा मिश्रा और सह संपादक डा0 सरितकिशोरी श्रीवास्तव है. मुख्य अतिथिे वरिष्ठ साहित्यकार, कवि,डा अरुण सज्जन ने बताया कि इस भोर सुहानी लगती है काव्य संकलन में महत्वाकांक्षाओं और आशावादी सकारात्मक सपनों की उड़ान है,, अभिव्यक्ति को नये स्वर एवं आयाम मिले हैं, उन्होंने आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी एवं आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री जी का उल्लेख करते हुए कहा कि कविता हृदय से हृदय की शाश्वत यात्रा है*
विशिष्ट अतिथि एवं मुख्य वक्ता डा मनोज आजिज ने कहा कि,कोई भी सृजन अनुभवों और भावनाओं के दौर से गुजर कर ही साकार हो पाता है,इस दृष्टि से हिंदी के विशाल भंडार में इस काव्य कृति का स्वागत है,, उन्होंने कुछ कविताओं का पाठ करते हुए बताया कि*इस पुस्तक में वर्णित रचनाएं समाज को सही दिशा प्रदान करती है, और एक सुखद, सार्थक संदेश भी देती है कि जीवन संघर्षों में डरना नहीं, चुनौतियों को जीतना है
तुलसी भवन के अध्यक्ष अरुण तिवारी एवं सचिव प्रसेनजीत तिवारी ने भी हिंदी कविता के लिए महिलाओं की फुरसत में किए गए सृजन की सराहना करते हुए सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं, संपादकीय वक्तव्य एवं पुस्तक परिचय देते हुए वरिष्ठ कवयित्री कथाकार पद्मा मिश्रा ने कहा कविताएं मन से मन की अंतर्यात्रा है,जो अनुभूतियों में जन्म लेती है और कलम की ताकत पाकर अभिव्यक्ति बन जाती है, सशक्त महिला रचनाकारों की कलम ने समाज के हर वर्ग की पीड़ा को अभिव्यक्त किया है, जब कलछी चलाने वाले हाथों में कलम आ जाती है तो अद्भुत सृजन होता ही है तब यह भोर सचमुच सुहानी लगती है
अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए साहित्यिक समूह की अध्यक्ष श्रीमती आनंद बाला शर्मा ने कहा कि*रचनाकर्म सुख दुख हर्ष विषाद की अनुभूतियों का सकारात्मक पहलू उजागर करे तो वह समाज हित में अनुकरणीय हो जाता है, हमारी महिला रचनाकारों ने इस भूमिका का सशक्त निर्वह किया है,, अंत में डा रागिनी भूषण द्वारा प्रस्तुत मधुर गीत ने समां बांध दिया और श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया,धन्यवाद ज्ञापन–वरिष्ठ कवयित्री छाया प्रसाद ने किया, कार्यक्रम का संचालन डा मनीला कुमारी ने किया.कोरोना काल को ध्यान में रखते हुए सीमित एवं सादगी पूर्ण ढंग से मनाए गए समारोह में श्रोताओं एवं अतिथियों की संख्या सीमित रखी गई थी तथा सुरक्षा का भी ध्यान रखा गया,
,इस अवसर पर मानवाधिकारकार्यकर्ता जवाहरलाल शर्मा, राजेश पाण्डेय, श्री प्रसाद, सुनील गुप्ता, अनिल दत्ता, मीनाक्षी कर्ण, सुधा अग्रवाल सागर, माधुरी मिश्रा,वीणा पाण्डेय, इंदिरा तिवारी, सरिता सिंह, ,डा आशा गुप्ता, रेणुबाला मिश्रा, अनीता निधि,सुजय कुमार, मुकेश रंजन, आदि उपस्थित थे.