हाई कोर्ट ने कहा- झारखंड की प्रतिष्ठा का सवाल, नहीं रोक सकते
रांची भारत और न्यूजीलैंड के बीच दूसरा T20 मैच कल यहां खेला जाएगा। दोनो टीमें आज यहां पहुंचीं : क्रिकेट प्रेमियों के लिए राहत की खबर है। झारखंड हाई कोर्ट ने न्यूजीलैंड और भारत के साथ होने वाले मैच के लिए स्टेडियम को सौ प्रतिशत क्षमता के साथ खोले जाने के सरकारी आदेश पर कोई हस्तक्षेप नहीं किया है। अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय मैच है, और इसे रोका नहीं जा सकता है। यह झारखंड की प्रतिष्ठा से भी जुड़ा हुआ है। इसलिए अदालत मैच में किसी प्रकार कोई हस्तक्षेप नहीं करेगी। हालांकि, अदालत ने कहा कि यह मुद्दा ओपन है कि किन परिस्थितियों में झारखंड सरकार ने सौ प्रतिशत क्षमता के साथ जेएससीए स्टेडियम में मैच कराने का निर्णय लिया है। भारत इस सीरिज का पहला मैच जीतकर 1-0 से आगे हैं। रोहित शर्मा की अगुवाई में भारत ने रोमांचक मुकाबले में कल न्यूजीलैंड को हराया था।
गुरुवार शाम इस मामले की चीफ जस्टिस डा रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि राजस्थान के जयपुर में सौ प्रतिशत क्षमता के साथ मैच हुआ है। महाराष्ट्र के मुंबई में भी शत प्रतिशत क्षमता के साथ मैच होने वाला है। इसे देखते हुए राज्य सरकार ने यह कदम उठाया है। इस पर कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार को ऐसा करने का अधिकार तो है, लेकिन आपात स्थितियों में ही ऐसा किया जा सकता है। लेकिन मैच के लिए कौन-सी आपात स्थिति थी। इसलिए अदालत इस मुद्दे को बरकरार रखते हुए प्रार्थी को यह छूट प्रदान करती है कि वह सरकार द्वारा जारी अधिसूचना को चुनौती दे सके। बता दें कि सुनवाई शाम साढ़े पांच से साढ़े सात बजे चली।
दरअसल, स्टेडियम 100 प्रतिशत क्षमता के साथ खोले जाने संबंधित आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट के अधिवक्ता धीरज कुमार ने गुरुवार सुबह ही जनहित याचिका दायर की थी। इस मामले में जल्द सुनवाई के लिए अदालत से विशेष आग्रह किया गया था, जिसे स्वीकार करते हुए हाई कोर्ट ने शाम पांच बजे विशेष कोर्ट का गठन किया। साढ़े पांच बजे से मामले में सुनवाई की गई। संभवत: यह देश का पहला ऐसा मामला होगा, जब क्रिकेट से संबंधित मामले की सुनवाई के लिए हाई कोर्ट ने विशेष बेंच का गठन किया है। हालांकि, इससे पहले अवकाश में भी झारखंड हाई कोर्ट ने विशेष बेंच का गठन कर अति आवश्यक मामलों की सुनवाई की है। इसी वर्ष दीपावली अवकाश (नौ नवंबर) में एक अधिवक्ता को पटना पुलिस द्वारा बिना सूचना के गिरफ्तार किए जाने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई की। इसके लिए भी विशेष बेंच गठित की गई थी।