टाटा स्टील करेगी ड्रोन से निर्माण कार्यों की निगरानी , टाटा स्टील कलिंगानगर समेत 23 खनन क्षेत्रों में किया जाएगा उपयोग

जमशेदपुर। टाटा स्टील में निर्माण कार्य, खनन कार्य की निगरानी के लिए ड्रोन का उपयोग किया जाएगा। इसके लिए तैयारी हो गई है। अनुबंध पर निगरानी की एक संस्था को जिम्मेदारी भी सौंप दी गई है।
ड्रोन सॉल्युशन स्टार्टअप ‘आरव अनमैन्ड सिस्टम्स’ (एयूएस) को अत्याधुनिक ड्रोन आधारित समाधान मुहैया कराने के लिए टाटा स्टील के विभिन्न व्यावसायिक वर्टिकलों से कई दीर्घावधि अनुबंध मिले हैं।
एयूएस अपने इन ड्रोन को कंपनी के खनन स्थलों के सर्वे के लिए तैनात करेगी और इससे हर महीने खदान कार्य पर नजर रखने में मदद मिल सकेगी। टाटा स्टील कॉरपोरेट ऑडिट डिवीजन द्वारा दिए गए एक अन्य अनुबंध के तहत, एयूएस दो साल तक टाटा स्टील की विभिन्न इकाइयों पर 23 स्थानों में थोक इन्वेंट्री की पारंपरिक तौर पर ड्रोन से निगरानी करेगी।
वहीं तीसरा अनुबंध विस्तार एवं परियोजना टीम से संबंधित है, जिसमें एयूएस का ड्रोन सॉल्युशन टाटा स्टील कलिंगनगर इस्पात परिसर में निर्माण कार्य की प्रगति की निगरानी के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। यह इस्पात परिसर पूरा हो जाने पर भारत का सबसे बड़ा समेकित स्टील कॉम्पलेक्स होगा। टाटा स्टील ने आंतरिक तौर पर निगरानी के लिए एयूएस से तीन सर्वे ग्रेड ड्रोन खरीदने के लिए भी अनुबंध किया है।
बताया जाता है कि डिजिटल सर्वे और निगरानी व्यवस्था से खनन प्रबंधन, भूमि प्रबंधन के साथ साथ इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रबंधन में दृश्यता और कुशलता को बढ़ावा मिलेगा।’
एयूएस के ड्रोन से टाटा स्टील को अपनी खदानों में परिचालन ज्यादा कारगर बनाने, उत्पादकता में सुधार लाने और साथ ही नियामकीय नियम और सुरक्षा सुनिश्चित करने में भी मदद मिल सकेगी।
एयूएस और टाटा स्टील ने सभी 23 खदानों, संयंत्र और कच्चे माल से संंबंधित स्थानों के लिए एक साल तक नागरिक उड्डयन मंत्रालय से ड्रोन परिचालन के संदर्भ में रियायत हासिल की है। डीजीसीए ने टाटा स्टील के संयंत्रों पर ड्रोन से निगरानी के लिए एक साल तक एयूएस की एसओपी को मंजूरी प्रदान कर दी है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि टाटा स्टील में सभी परिचालन 100 प्रतिशत नियामकीय स्वीकृति के साथ सुनिश्चित होगा।

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