कभी बेटे का नहीं कर सके थे अंतिम संस्कार
लावारिश लाशों का अंतिम संस्कार करने वाले व लावारिश लाशों के मसीहा के रूप में पहचाने जाने वाले अयोध्या के मोहम्मद शरीफ़ को कल शाम राष्ट्रपति भवन में पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया. राष्ट्रपति भवन में उनको राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा सम्मानित किया गया. अब तक उन्होंने 5 हज़ार से ज़्यादा लावारिश लाशों का अंतिम संस्कार किया है.
मोहम्मद शरीफ ने 1993 में अपने बेटे का अंतिम संस्कार न कर पाने से आहत होकर ये तय किया कि अब कोई भी लाश लावारिश नहीं रहेगी. सबका अंतिम संस्कार वो खुद करेंगे. इस दौरान उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा और लोगों के सहयोग के बाद से वो अब तक 3 हज़ार हिन्दू और 2 हज़ार से ज़्यादा मुस्लिम लोगों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं.
बेटे का नहीं कर पाए थे अंतिम संस्कार
मोहम्मद शरीफ ने बताया कि 28 साल पहले 1993 में सुल्तानपुर में उनके बेटे की मौत हो गयी थी. ऐसे में किसी ने उसका अंतिम संस्कार नहीं किया. तभी से मैंने तय किया कि अब चाहे हिन्दू हो या मुसलमान, सबका अंतिम संस्कार में करूंगा और तब से अब तक 3 हज़ार हिन्दू और 2 हज़ार मुस्लिम लोगों का अंतिम संस्कार कर चुका हूं.
मोहम्मद शरीफ ने बताया कि पद्मश्री मिलने से वो बहुत खुश हैं, उनके काम को लोगों द्वारा सराहा गया और सरकार के द्वारा उनका सम्मान किया गया. इससे उनका मनोबल और बढ़ गया है. वो इसी तरह से आगे भी इस काम को करते रहेंगे.
चाचा के नाम से हैं मशहूर
शरीफ चाचा के नाम से मशहूर मोहम्मद शरीफ ने बताया कि उनको इसके लिए किसी भी तरह की सरकारी मदद नहीं मिलती है, बेटे की मौत के बाद ठेला खरीद के वो जनता से ही पैसा इकट्ठा करके लोगों के अंतिम संस्कार करते रहे हैं, आम लोगों ने खूब सहयोग किया. बड़ा सम्मान मिला सबका आभार. मीडिया का भी आभार, जिसने मेरे काम को पहचान दी व पीएम तक मेरे काम को पहुंचाया.
पीएम ने दिया मदद का आश्वासन
मोहम्मद शरीफ ने बताया की प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से कल मुलाक़ात हुई और बात भी हुई. राष्ट्रपति से ज्यादा बात तो नहीं हुई लेकिन पीएम से बात हुई है. प्रधानमंत्री ने सभी प्रकार के का आश्वासन दिया हैं. मैंने उनसे लावारिश लाशों के अंतिम संस्कार के लिए भी मदद और अपने लिए घर की मांग भी की है, जिसके लिए पीएम की तरफ से हमें आश्वासन मिला है कि मदद की जायेगी