चाकुलिया 17 october दीवाली पर घरों को रोशन करने के लिये जलाये जाने वाले मिट्टी के दियों के स्थान पर इस बार गोबर के दियों से घर-आंगन रोशन होंगे. चाकुलिया नगर पंचायत क्षेत्र के नया बाजार स्थित कोलकाता पिंजरापोल सोसायटी (गौशाला) में इस वर्ष पहली बार देसी गाय के पंचतत्व गोबर से दीप बनाए जा रहे हैं. इस वर्ष चाकुलिया के लोग चाइनीस लाइटों का बहिष्कार करेंगे. गोबर के दीपक जलाने से पर्यावरण भी शुद्ध होगा. इस दीपावली चाइना मुक्त सामान का बहिष्कार कर गोबर के दीप जलाने से प्रकृति शुद्ध होगी. साथ ही साथ गौशाला की आमदनी भी होगी. शास्त्र के अनुसार देसी गाय के गोबर को पवित्र माना गया है. जानकारी के मुताबिक माना जाता है कि गाय के गोबर में लक्ष्मी का वास होता है इसलिए इसे पवित्र माना जाता है. पारंपरिक भारतीय घरों में गाय के गोबर के केक का उपयोग यज्ञ, समारोह, अनुष्ठान आदि के लिए किया जाता है. इसका उपयोग हवा को शुद्ध करने के लिए किया जाता है क्योंकि इसे घी के साथ जलते समय ऑक्सीजन मुक्त करने के लिए कहा जाता है. गाय के गोबर को उर्वरक के रूप में भी प्रयोग किया जाता है. जानकारी हो की चीन किस तरह माकेर्ट को पकड़ता है इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि चीन जिन त्योहारों को मानता ही नहीं है वह उसे मनाने के लिए सामान बनाता है. होली चीन में नहीं खेली जाती, लेकिन उसकी पिचकारी चीन से बनकर आती है. चीन दीपावली नहीं मनाता लेकिन हमारे घरों को रोशन करने वाले बिजली के उपकरण चीन से बनकर आती हैं. लेकिन अब यह तस्वीर बदल रही है. भारत ने यह ठान लिया है कि जब पर्व भारतीय हैं तो उसकी कमाई कोई और क्यों ले जाए. कुछ इसी तर्ज पर गौशाला ने इस बार दीपावली पर जलने वाले दीपक चायनीज नहीं बल्कि गाय के गोबर से बनाकर आमजन को उपलब्ध कराने का जिम्मा संभाला है. इस संबंध में गौशाला के उपाध्यक्ष आलोक लोधा ने कहा कि क्षेत्र के लोग देसी गाय के गूगल से बने दीप खरीदें और दीपावली में चाइनीस सामान का बहिष्कार करें. उन्होंने कहा कि देसी गाय के गोबर से बने दीपका दाम 3 रुपया रखा गया है.