चक्रधरपुर रेल मंडल के बांसपानी स्टेशन में ग्रामीणों ने तोडफ़ोड़ कर पूरे स्टेशन को तहस नहस कर दिया है. देर रात में वहां आग भी लगा दी गयी। दरअसल आरपीएफ के द्वारा एक ग्रामीण की पिटाई के बाद उसकी मौत हो गयी, ग्रामीण की हुई मौत के बाद पूरे गाँव में रेलवे के खिलाफ गुस्सा ऐसा फूटा कि ग्रामीणों ने बांसपानी रेलवे स्टेशन में घुसकर तोडफ़ोड़ की. इस घटना में कई रेलकर्मी घायल हैं. घटना के बाद चक्रधरपुर रेल मंडल में हडक़ंप मचा हुआ है.मंगलवार रात चक्रधरपुर रेल मंडल का बांसपानी रेलवे स्टेशन ग्रामीणों के गुस्से का शिकार बन गया. बांसपानी और आसपास के ग्रामीणों ने बांसपानी रेलवे स्टेशन में जमकर तोडफ़ोड़ की और हंगामा मचाया. इस दौरान ग्रामीणों ने स्टेशन में काम कर रहे कई रेलकर्मियों पर भी जानलेवा हमला किया. जिसमें कई रेलकर्मी घायल हैं और जोड़ा के टाटा हॉस्पिटल घायल रेलकर्मियों का ईलाज चल रहा है, जो गंभीर थे उन्हें रांची रिम्स ले जाया गया है. ग्रामीणों ने तोडफ़ोड़ के दौरान पुरे रेलवे स्टेशन के संसाधन और उपकरण को तोडक़र नष्ट कर दिया, वहीँ दस्तावेजों को भी फेंककर पूरे स्टेशन परिसर में बिखेर दिया.
तकरीबन दो घंटे तक ग्रामीणों के कब्जे में स्टेशन रहा. किसी तरह कुछ रेलकर्मी अपनी जान बचाकर रेलवे स्टेशन से भाग निकलने में कामयाब रहे लेकिन जो पकड़ में आये ग्रामीणों ने उन्हें दम भर पीटा. इस घटना की सुचना मिलने के बाद ओडिशा की क्योंझर पुलिस एक्टिव हुई और प्रशासन ने वहां धारा 144 लगा दी. जिसके बाद जिला पुलिस ने ग्रामीणों को खदेडक़र स्टेशन को अपने कब्जे में ले लिया. स्टेशन और आसपास इस घटना के बाद अब भी तनाव कायम है वहीँ ग्रामीणों को समझाने का प्रयास जारी है. वहीँ स्टेशन में ट्रेनों का परिचालन ठप्प है, लोडिंग भी ठप्प है.
जानकारी के मुताबिक आरपीएफ के एक जवान ने देर शाम को साइडिंग में लक्ष्मण पात्रो नामक एक ग्रामीण की कोयला चोर बताकर लाठी डंडे से पिटाई कर दी. आरपीएफ जवान के इस पिटाई के बाद घटना स्थल पर ही लक्ष्मण पात्रो की मौत हो गयी. इसकी सुचना जब लक्ष्मण पात्रो के घरवालों व ग्रामीणों को हुई तो वे मौके पर पहुंचे और शव को उठाकर गाँव ले गए. लक्ष्मण पात्रो का शव देख ग्रामीणों में रेलवे के खिलाफ ऐसा गुस्सा फूटा की उन्होंने बांसपानी रेलवे स्टेशन पर ही धावा बोल दिया. सैकड़ों की संख्या में ग्रामीणों ने चुन चुन कर रेलकर्मियों और आरपीएफ जवानों पर हमले किये. वहीँ स्टेशन में गुस्से के उबाल के साथ पत्थरबाजी और तोडफ़ोड़ की.
फिलहाल ईलाके में धारा 144 लागू है, स्थिति सामान्य हो रहा हैं लेकिन ग्रामीणों का गुस्सा थमा नहीं है. रेलवे के बड़ेे अधिकारी मौके पर पहुँच जिला प्रशासन की मदद से ग्रामीणों को समझाने का प्रयास कर रहे हैं. मृतक लक्ष्मण पात्रो के घरवालों का कहना है की वह अपने परिवार का भरण पोषण करने वाला एकमात्र व्यक्ति था, सरकार अब पीडि़त परिवार को हर महीने 20 हजार रुपये का सहायता राशि व मुआवजा प्रदान करे.
बता दें की घटना जिस कोयला चोरी के मामले को लेकर शुरू हुआ है वह चक्रधरपुर रेल मंडल में काफी बड़ा मामला है. हर महीने चक्रधरपुर रेल मंडल के विभिन्न साइडिंग से कोयला चोरी का करोड़ों का कारोबार होता है. और इस कारोबार में आरपीएफ व रेलकर्मियों की भी मिलीभगत होती है.
कोयला चोरी के इस मामले को पिछले साल अक्तूबर के महीने में ही उजागर किया गया था. और यह भी बताया था की कोयला चोरी को लेकर कभी भी ग्रामीण और रेल प्रशासन आमने सामने हो सकते हैं खूनी संघर्ष की आशंका है . . लेकिन इसके बावजूद इसपर ध्यान नहीं दिया गया जिसका नतीजा आज सबके सामने है.
जिन स्टेशनों में कोयला चोरी होती है उनमें बंडामुंडा आरपीएफ थाना क्षेत्र के डूमिरता, लाठीकटा, नुआगाँव, बिमलगढ आरपीएफ थाना क्षेत्र के बिमलगढ, पाटासाई, रेंजड़ा, रोक्सी, बरसुआं, डोंगवापोशी आरपीएफ थाना क्षेत्र के डोंगवापोशी, बांसपानी, जिरुली शामिल हैं. इसके साथ साथ आदित्यपुर में भी रेक से कोयला की चोरी का मामला सामने आता रहा है. यही नहीं पिछले दो सालों से बड़बिल साइडिंग में भी कोयला चोरी का धंधा खूब फल फूल रहा है.
बताया जाता है की रेलवे के रेक से कोयला चोरी का यह धंधा अब छोटा गोरख धंधा नहीं रहा. प्रत्येक महीने इस धंधे में लिप्त बड़ेे माफिया चक्रधरपुर रेल मंडल में ही रेलवे के रेक से कोयला चोरी कर करोड़ों का कारोबार कर रहे हैं. इस धंधे में बिना पूंजी लगाए कोयला माफिया करोड़ों कमा रहे हैं. वेगन से कोयला चोरी करने वाले को प्रत्येक बोरा कोयला का सौ रुपया मिलता है जबकि इसी कोयले को धनबाद में प्रत्येक बोरा 600 रूपये में बेचा जाता है. माफिया एक मैनेजमेंट के तौर पर कोयला चोरी करते हैं जिसमें कुछ आरपीएफ को भी शामिल किया जाता है. आरपीएफ को प्रत्येक बोरा कोयला पार करवाने के लिए 50 रूपये माफिया भुगतान करते हैं. वहीँ जिला पुलिस को भी कुछ खर्चा दे दिया जाता है.
इस धंधे में अब कब्जा जमाने के लिए माफियाओं का अलग अलग गुट काम करने लगा है. जिसके कारण ग्रामीण, रेल प्रशासन, आरपीएफ और कोयला माफिया के बीच टकराव और खूनी रंजिश की स्थिति बन रही है. बांसपानी स्टेशन में भी हुई घटना इसी ओर इशारा कर रही है. आरपीएफ में भी गुटबाजी चल रही है. कोयला चोरी का पैसा जिन्हें नहीं मिल रहा वो अलग गुट बनाए हुये हैं, वहीँ कोयला माफिया की जिस पर मेहरबानी है उनका गुट अलग है. ऐसे में कोयला चुराने वाले आपसी टकराव और खूनी रंजिश की चपेट में आ रहे हैं.