उपासना मंत्र : चंद्रहासोज्जवलकरा शाइलवरवाहना. कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी॥
यह दुर्गा देवताओं और ऋषियों के कार्यों को सिद्ध करने लिए महर्षि कात्यायन के आश्रम में प्रकट हुईं. उनकी पुत्री होने के कारण इनका नाम कात्यायनी पड़ा. देवी कात्यायनी दानवों तथा पापी जीवियों का नाश करने वाली हैं. वैदिक युग में ये ऋषि-मुनियों को कष्ट देने वाले दानवों को अपने तेज से ही नष्ट कर देती थीं. यह ङ्क्षसह पर सवार, चार भुजाओं वाली और सुसज्जित आभा मंडल वाली देवी हैं. इनके बाएं हाथ में कमल और तलवार व दाएं हाथ में स्वस्तिक और आशीर्वाद की मुद्रा है.