उपासना मंत्र : ङ्क्षसहासानगता नितयं पद्माश्रितकरद्वया. शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) की माता होने के कारण इस पांचवें स्वरूप को स्कन्दमाता के नाम से जाना जाता है. यह कमल के आसन पर विराजमान हैं, इसलिए इन्हें पद्मासन देवी भी कहा जाता है. इनका वाहन भी ङ्क्षसह है. इन्हें कल्याणकारी शक्ति की अधिष्ठात्री कहा जाता है. यह दोनों हाथों में कमलदल लिए हुए और एक हाथ से अपनी गोद में ब्रह्मस्वरूप सनतकुमार को थामे हुए हैं. स्कन्द माता की गोद में उन्हीं का सूक्ष्म रूप छह सिर वाली देवी का है. अत: इनकी पूजा-अर्चना में मिट्टी की 6 मूर्तियां सजाना जरूरी माना गया हैं.