जमशेदपुर : शहर के प्रमुख व्यवसायी जितेन्द्र चावला की पुत्री निकिता चावला द्वारा लिखित पुस्तक ‘आई गेट इट टू’ का विमोचन आज बिष्टुपुर स्थित होटल रमाडा में किया गया. कोल्हान विश्वविद्यालय की अवकाशप्राप्त प्रति कुलपति डा. शुक्ला मोहंती, पूर्व जिला सत्र न्यायाधीश एलपी चौबे एवं प्रधानमंत्री 15 सूत्रीय कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति झारखंड सरकार के पूर्व वाइस चेयरमैन अमरप्रीत सिंह काले ने एक समारोह में पुस्तक का विमोचन किया.
इस मौके पर मुख्य अतिथि डा. शुक्ला मोहंती ने इस बात पर गर्व महसूस किया कि लेखिका उनके कॉलेज की ही छात्रा रही हैं. उन्होंने कहा कि जबतक आप पढ़ोगे नहीं, तबतक लिख नहीं सकते. आजकल युवा पीढ़ी खुद को सोशल मीडिया, लैपटॉप पर ही व्यस्त रखती है. लिखने को वह बेकार चीज समझती है. ऐसे में निकिता ने एक मिसाल प्रस्तुत किया है. पूर्व जिला व सत्र न्यायाधीश एलपी चौबे ने कहा कि महान वही है जो चीजों को बेहतर ढंग से रिफ्लैक्ट करते हैं. निकिता ने वह कर दिखाया है. उन्होंने युवाओं का आह्वान किया कि उन्हें वह शीशा बनना है, जिस शीशे से पत्थर टूटे. अमरप्रीत सिंह काले ने भी इस बात पर गर्व महसूस किया कि उनके मित्र की बेटी ने इतनी बेहतरीन रचना प्रस्तुत की है. उन्होने कहा कि आज के बच्चे बहुत आगे सोचते हैं. इस पुस्तक में ऐसे कई मर्मस्पर्शी बातें है जो हमें झकझोरती है. लेखिका ने अपनी दादी के माध्यम से विभाजन की विभिषिका के दर्द को बेहतरीन तरीके से प्रस्तुत किया है. इस अवसर पर निकिता को हर किसी ने उनकी बेहतरीन प्रस्तुती के लिये तहेदिल से बधाई दी. निकिता से पुस्तक के बारे में कई सवाल भी पूछे गये. कार्यक्रम मेें बड़ी संख्या में परिवार के लोग मौजूद थे.
पुस्तक परिचय
निकिता चावला, जमशेदपुर में लब्ध प्रतिष्ठ चावला परिवार की बेटी है. इनके पिता श्री जितेन्द्र चावला और बड़े पिताजी सुरेंद्र चावला कारोबार में एक अलग स्थान रखते हैं. कारोबार के साथ समाजहित में भी चावला परिवार हमेशा सजग और तत्पर रहता है. इसी बेटी द्वारा लिखित ‘आई गेट इट टू’ नामक पुस्तक सामाजिक और पारिवारिक संस्कार एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में संचारित करने का जीता जागता नमूना पेश करती है. निकिता ने 11 मार्मिक संवादों का संकलन कर यह दर्शाने की कोशिश की है कि एक ओर जहां संस्कार और संस्कृति पुरानी पीढ़ी से नयी पीढ़ी में कैसे भरी जा सकती है, वहीं छोटी छोटी बातों से जीवन को कैसे आनंदित और खुशहाल रखा जा सकता है. परिवार में बच्चे देखते देखते बड़े हो जाते हैं. उस समय एक बुजुर्ग कैसे उनका मार्गदर्शन करता/करती है, बच्चों को किस प्रकार संस्कार की शिक्षा दी जाती है इन सब भावनापूर्ण बातों का इस पुस्तक में संकलन करने का प्रयास किया गया है. इस पुस्तक को पढ़ने से विलियम वर्ड्स वर्थ की कविता ‘चाइल्ड इज द फादर ऑफ मैनÓ के भाव जेहन में एकबार फिर आ सकते हैं. इस छोटी उम्र में निकिता चावला ने बड़े ज्ञान और बड़े बुजुर्गों से मिली शिक्षा पर आधारित अपनी कोमल भावनाओं को व्यक्त करने का प्रयास किया है जो किसी भी परिवार पर लागू होता है.
द वर्ल्ड ऑफ हिडेन थॉट्स पब्लिसिंग द्वारा प्रकाशित पुस्तक का ई-बुक अमेजॉन किंडल, गूगल प्ले बुक्स, कोबो डॉट कॉम, वालमार्ट पर उपलब्ध है. निकिता चावला ने अपनी यह पुस्तक अपनी प्यारी दादी मां स्व. कांता रानी चावला को समर्पित की है. निकिता के दादाजी देश विभाजन के बाद लाहौर से भारत आए और जमशेदपुर पहुंचे और कड़ी मेहनत के बाद परिवार को एक मुकाम पर पहुंचाया। दादा – दादी की जीवनी से प्रेरणा लेकर निकिता ने लेखन की शुरुवात की है।