पुलिस का एतवार लुप्त हो रहा जमशेदपुर में, आये दिन कानून व्यवस्था को बदमाश दिखा रहे ठेंगा

Jamshedpur,22Sept: शहर में आये दिन दबंग और मनबढु लोगों द्वारा हिंसा, तोड़फोड़, पिटाई, फायरिंग की घटनाएं एक जमाने में जब यहां परवेज हयात एस पी थे ,के कार्यकाल की याद दिला रही है। देखते देखते अपराधियों का मनोबल इतना बढ़ गया कि लंका के वानर भी फांदे 52 हाथ वाली कहावत चरितार्थ होने लगी थी। टाटा स्टील के तत्कालीन एम डी डॉ जे जे ईरानी तक को जान मारने की धमकी आने लगी थी। तब लाज बचाने के लिए लालू सरकार ने आईपीएस डॉ अजय कुमार को यहां खुली छूट देकर भेजी जिन्हें अपराधियों को काबू करने के लिए सीधी मुड़भेड़ और गोली मारने जैसी कई कार्रवाई करनी पड़ी और मानवाधिकार हनन के प्रहार झेलना पड़ा था।
शहर में पिछले 24 घंटों में ही गोलमुरी रिफ्यूजी कॉलोनी में एक भाजपा नेता के भतीजों द्वारा की गई हिंसा और पूरी कॉलोनी की शांति भंग करने के अलावे बारीडीह बस्ती में राकेश मुखी नामक एक दुकानदार के जीविकोपार्जन के लिए चल रही दुकान को तहस नहस करने की घटना सामने आई। उसके पहले उसके भतीजे को 15 अगस्त को पीटकर इन लोगों ने अधमरा कर दिया था। मामला भले ही पारिवारिक विवाद से जुड़ा हो लेकिन इस तरह तोड़फोड़ और पिटाई की अनुमति कानून में किसने दी ? उलीडीह में एक होटल मालिक को कुछ बदमाश आस्था स्पेस टाउन में घर से बाहर निकल कर इसीलिए पीटा की वह उनकी गुंडागर्दी के संबंध में एम जी एम थाने में दर्ज FIR वापस ले। रंगदारी के लिए चंद्रावती नगर में एक ठीकेदार को पीटा और गोलियां चलाई। इसके पहले एक वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के मालिक साहू को रंगदारी के लिए धमकाते हुए गोलियां चलाने की घटना हुई थी। गोलमुरी रिफ्यूजी कॉलोनी में ही हवाई फायरिंग का मामला पुराना नहीं हुआ है।

ये घटनाएं बढ़ रहे अपराध और कानून हाथ में लेने के नमूने हैं जिनके अध्ययन से पता चलता है कि पुलिस का डर और पुलिस पदाधिकारियों में विधि व्यवस्था बहाल रखते हुए कानून का शासन बरकरार रखने की प्रतिबद्धता में गिरावट आ गयी है जिसका नतीजा उक्त घटनाओं के रूप में सामने आ रहा है।
महामहिम ने एक भेंट में सही कहा था कि पुलिस कुछ माफिया तत्वों को चुनकर उनपर कड़ाई कर दे तब इस तरह के अपराध स्वतः काबू में आ जाएं। नागरिकों के बीच असुरक्षा की भावना पैदा कर रही इन घटनाओं से सरकार के विरुद्ध लोग टीका- टिप्पणी कर रहे हैं। जन प्रतिनिधियों से लोग उम्मीद करते हैं कि वे आवाज़ उठाएं लेकिन वे सामने नहीं आ रहे।

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