टाटा समूह में अब चेयरमैन और सीईओ का पद अलग-अलग होगा, रतन टाटा की मंजूरी होगी अहम

मुंबई,14 सितंबर: भारत का सबसे बड़ा कारोबारी घराना टाटा संस लिमिटेड अब एक ऐतिहासिक बदलाव की ओर जा रहा है। टाटा समूह अपने कॉर्पोरेट गवर्नेंस को बेहतर बनाने में मदद करने के लिए एक प्रमुख कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) की नियुक्ति करना चाहता है। यानी अब ग्रुप में चेयरमैन और सीईओ अलग-अलग होंगे।
टाटा समूह 153 साल पुराना है: सूत्रों के मुताबिक, प्रस्तावित प्लान के तहत, नए सीईओ 153 साल पुराने टाटा के बिजनेस साम्राज्य का मार्गदर्शन करेंगे जबकि चेयरमैन मॉनिटरिंग अधिकारी की भूमिका में रहेंगे। हालांकि इस फैसले में रतन टाटा की मंजूरी सबसे महत्वपूर्ण है। 83 साल के रतन टाटा अभी टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन हैं।
चंद्रशेखरन का कार्यकाल फरवरी 2022 में खत्म होगा: टाटा संस के मौजूदा चेयरमैन नटराजन चंद्रशेखरन का कार्यकाल फरवरी 2022 में खत्म होगा। उन्हें सेवा विस्तार देने पर विचार किया जा रहा है। टाटा स्टील सहित टाटा समूह की विभिन्न कंपनियों के प्रमुखों का सीईओ पद के लिए मूल्यांकन भी किया जा रहा है। इस पर अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है। इस योजना में बदलाव भी हो सकता है।
साइरस मिस्त्री के विवाद से लिया सबक: सूत्र बताते हैं कि सीईओ वाला प्रस्ताव साइरस पी मिस्त्री के साथ साल भर की कानूनी लड़ाई जीतने के कई महीने बाद आया है। मिस्त्री ग्रुप के चेयरमैन थे। उन पर ग्रुप में मिस मैनेजमेंट का आरोप लगाया गया। 2016 में उन्हें पद से हटा दिया गया था। इस प्रस्तावित प्लान से ग्रुप के लिए भविष्य का चार्ट तैयार करने में मदद मिल सकती है।
टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन हैं रतन टाटा: टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन के रूप में रतन टाटा की जगह कौन लेगा, इस बारे में कुछ साफ नहीं है। टाटा ट्रस्ट के पास टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी का 66 प्रतिशत मालिकाना हक है। ग्रुप के एक नए सीईओ को कई चुनौतियों से निपटना होगा। टाटा स्टील 10 अरब डॉलर के कर्ज को कम करने की कोशिश कर रही है। जबकि टाटा मोटर्स लगातार तीन साल से घाटे में है।
एशिया की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी है टीसीएस: एशिया की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर सेवा प्रदाता टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) एक सुपर ऐप लाने की योजना पर काम कर रही है। हालांकि उसने फिलहाल के लिए इस योजना को टाल दिया है। यह ऑल-इन-वन ई-कॉमर्स ऐप होगा। इसके जरिए ग्रुप डिजिटल स्पेस में अपनी मजबूती बनाने में सफल हो सकता है।
100 से अधिक बिजनेस में शामिल है टाटा ग्रुप: 100 से अधिक बिजनेस और दो दर्जन से ज्यादा लिस्टेड कंपनियों वाले टाटा ग्रुप के पास 2020 में 106 बिलियन डॉलर का सालाना रेवेन्यू था। इसके पास 7.5 लाख कर्मचारी हैं। ये कर्मचारी कार-ट्रक बनाने, चाय बेचने, स्टील बनाने, बीमा बेचने, सॉफ्टवेयर बनाने और फोन नेटवर्क लगाने जैसे कई काम करते हैं।
सेबी की योजना के मुताबिक है टाटा का प्लान: ग्रुप के लीडरशिप में प्रस्तावित बदलाव, भारत के मार्केट रेगुलेटर सेबी की योजना के अनुरूप है। रेगुलेटर की इस योजना में कहा गया है कि देश की टॉप 500 लिस्टेड कंपनियों के पास बेहतर गवर्नेंस के लिए अप्रैल 2022 तक चेयरमैन और सीईओ का पद अलग-अलग होना चाहिए। हालांकि टाटा संस लिस्टेड नहीं है, लेकिन लीडरशिप में यह बदलाव नियम का पालन करने में मदद करेगा।
टाटा के रिटायरमेंट के संकेत: होल्डिंग कंपनी के ऊपर एक पेशेवर प्रबंधक नियुक्त करने के प्लान को रतन टाटा की रिटायरमेंट की भूमिका के रूप में देखा जा रहा है। क्योंकि रतन टाटा अब पूरी तरह से रिटायर होने के कगार पर हैं। हालांकि रतन टाटा का कहना है कि वह अब सक्रिय रूप से व्यापारिक फैसलों में शामिल नहीं होते हैं। पर टाटा ट्रस्ट के जरिए वह ग्रुप के प्रबंधन पर अभी भी काफी प्रभाव डालते हैं।
रतन टाटा के सबसे भरोसेमंद अधिकारी हैं चंद्रशेखरन
एन चंद्रशेखरन, रतन टाटा के सबसे भरोसेमंद अधिकारियों में से एक हैं। तमिलनाडु के नमक्कल जिले में वे पैदा हुए हैं। यह मजेदार बात है कि आज जिस ग्रुप के वे चेयरमैन हैं, उसी ग्रुप की कंपनी टीसीएस में वे इंटर्न के रूप में जुड़े थे। 1986 में इंटर्न के बाद 1987 में वे फुल टाइम कर्मचारी बन गए थे। 1990 के दशक में वे ग्रुप में मैनेजमेंट लेवल पर पहुंच गए। वे 35 सालों से इस ग्रुप में हैं। 2009 में उन्हें टीसीएस का सीईओ बनाया गया था।

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