बरादर नहीं, वैश्विक आतंकी अखुंद के हाथों में अफगानिस्तान की कमान, जानें तालिबान सरकार की पूरी कुंडली

तालिबान के पिछले शासन के अंतिम वर्षों में मुल्ला हसन अखुंद ने अंतरिम प्रधानमंत्री के तौर पर काबुल में तालिबान की सरकार का नेतृत्व किया था। अमेरिका के साथ वार्ता का नेतृत्व करने वाले मुल्ला गनी बरादर को उप प्रधानमंत्री बनाया जाएगा। बरादर ने अमेरिका के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किये थे, जिसके तहत अमेरिका पूरी तरह अफगानिस्तान से बाहर निकल गया था।
तालिबान ने आखिरकार अफगानिस्तान में इस्लामिक अमीरात सरकार का ऐलान कर दिया है। अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र में प्रतिबंधित आतंकी हसन अखुंद को अफगानिस्तान का नया कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनाया गया है। जबकि, इस पद के लिए पिछले 20 दिनों से चर्चा में सबसे आगे रहे मुल्ला अब्दुल गनी बरादर को एक अन्य नेता के साथ उप प्रधानमंत्री बनाया गया है। तालिबान की नई कैबिनेट में सबसे चौंकाने वाले दो नाम भी शामिल हैं। इसमें कुख्यात आतंकी संगठन हक्कानी नेटवर्क के सरगना को अफगानिस्तान का आतंरिक मंत्रालय सौंपा गया है, जबकि रक्षा मंत्री के रूप में मुल्ला उमर के बेटे मुल्ला याकूब को नियुक्त किया गया है। भारत में सैन्य ट्रेनिंग लिए शेर मोहम्मद अब्बास स्टानिकजई को उप विदेश मंत्री का प्रभार सौंपा गया है। तालिबान के पिछले शासन के अंतिम वर्षों में मुल्ला हसन अखुंद ने अंतरिम प्रधानमंत्री के तौर पर काबुल में तालिबान की सरकार का नेतृत्व किया था। अमेरिका के साथ वार्ता का नेतृत्व करने वाले मुल्ला गनी बरादर को उप प्रधानमंत्री बनाया जाएगा। बरादर ने अमेरिका के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किये थे, जिसके तहत अमेरिका पूरी तरह अफगानिस्तान से बाहर निकल गया था। इस सरकार में गैर-तालिबानियों को जगह दिये जाने की कोई जानकारी नहीं मिली है।
मुल्ला हसन अखुंद बना अफगानिस्तान का नया प्रधानमंत्री

मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद को तालिबान की इस्लामिक अमीरात सरकार में कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनाया गया है। अखुंद के प्रधानमंत्री पर की रेस में आने की चर्चा मात्र दो दिन पहले ही शुरू हुई थी। मुल्ला मोहम्मद हसन वर्तमान में तालिबान के शक्तिशाली निर्णय लेने वाले निकाय, रहबारी शूरा या नेतृत्व परिषद के प्रमुख है। मोहम्‍मद हसन तालिबान के जन्मस्थान कंधार से ताल्लुक रखता है और आतंकी आंदोलन के संस्थापकों में से एक है। मोहम्‍मद हसन अखुंद ने रहबारी शूरा के प्रमुख के रूप में 20 साल तक काम किया है और बहुत अच्छी प्रतिष्ठा अर्जित की। वह एक सैन्य पृष्ठभूमि के बजाय एक धार्मिक नेता है और अपने चरित्र और तालिबान भक्ति के लिए जाना जाता है। मुल्ला हसन करीब 20 साल से शेख हैबतुल्ला अखुंजादा के करीबी रहा है। मुल्ला हसन के इसी वफादारी के एवज में उसे अफगानिस्तान का कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनाया गया है । हैबतुल्‍ला अखुंजादा ईरान की तरह से अफगानिस्‍तान का सुप्रीम लीडर बनने जा रहा है। यही नहीं मुल्ला हसन ने अफगानिस्तान में अपनी पिछली तालिबान सरकार के दौरान महत्वपूर्ण पदों पर काम किया था। विश्‍लेषकों के मुताबि‍क मुल्‍ला हसन के पक्ष में एक और बात जो गई वह है, उनका लो प्रोफाइल होना।
मुल्ला बरादर का कद घटा, बना उप प्रधानमंत्री

तालिबान की नई सरकार में सबसे बड़ा झटका मुल्ला अब्दुल गनी बरादर को लगा है। दो दिन पहले तक अफगानिस्तान के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के पद का सबसे अहम दावेदार बताया जा रहे बरादर को एक दूसरे नेता के साथ उप प्रधानमंत्री का पद दिया गया है। तालिबान के सह-संस्थापकों में से एक मुल्ला अब्दुल गनी बरादर तालिबान के राजनीतिक कार्यालय का प्रमुख है। इस समय वह तालिबान के शांति वार्ता दल का नेता भी रहा है। मुल्ला उमर के सबसे भरोसेमंद कमांडरों में से एक अब्दुल गनी बरादर को 2010 में दक्षिणी पाकिस्तानी शहर कराची में सुरक्षाबलों ने पकड़ लिया था, लेकिन बाद में तालिबान के साथ डील होने के बाद पाकिस्तानी सरकार ने 2018 में उसे रिहा कर दिया था।

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