“क्यों होती हैं सर्वव्यापी महामारियाँ “

हम सब ढीले पड़ रहें हैं, मिलना जुलना सबकुछ चल रहा है। हम सब सोच रहे हैं, तीसरा डेल्टा कोभिड नही आया है, या अभी देर है ।तरह तरह की अटकलें। हम डॉक्टर और वैज्ञानिक भी अब तीसरी कोभिड लहर नही चाहते हैं, पर भीतर चिंतित भी तो हैं ।

इतिहास गवाह है ,कि संसार में सदियों से कभी कभी सर्वव्यापी महामारियाँ होती रही हैं। जिसके कारण गाँव के गाँव, कस्बे शहर समाप्त हो गये। मानव प्राणी हाथ मलते रह गये। और सौ वर्षों बाद, इस कोभीड की विश्वव्यापी महामारी के भयानक परिणाम को इस काल में हम सब डेढ़ बर्षों से उपर झेल रहे हैं। जनजीवन बार बार ठप्प सा हो रहा है। इसका विश्लेषण करना अति आवश्यक है, कि आखिर क्यों होती हैं ऐसी महामारियाँ। हम मानवों ने वैज्ञानिकों और डॉक्टरों की चेतावनियों के वावजूद भी उनकी बातों पर कभी भी सही ध्यान नही दिया ।लापरवाही भी तो मानव की प्रकृति है। इसके कारणों को समझने के लिए अनेक विश्लेषण और शोधों से विश्वव्यापी महामारियों के निम्न प्रमुख कारण पाये गये हैं।

1.(ग्लोबलीईजेशन) भूमंडलीकरण : –
आजकल लोग जैसे बस और ट्रेन पकड़ यात्रा करते हैं, उसी तरह अभी हवाईयात्रा से कुछ घंटों में एक शहर से दूसरे शहर, एक देश से दूसरे देश पहुँच जाते हैं। हवाई यात्रायें बहुत बढ़ गयी है। यह वर्ष 1990 से धीरे धीरे बढ़ रहा था ,जो अब एक अरब से बढ़कर 2018 में 4.2 अरब हो गया ।और जो कोरोना वायरस चीन में ही रह सकता था, वो तेजी से विश्व में फैलने लगा। और इस तरह अन्य यात्रायें और हवाई यात्रा संक्रमण को बढ़ाने लगा। इसी तरह कोरोना ग्रसित बिमारियों के बचाव में परेशानियों का सामना करना भी बढ़ने लगा । क्योंकि संसार के लोग इस बिमारी से बिल्कुल अनभिज्ञ रहें।

2.
(Urbanization )
शहरीकरण :-
1950 में संसार की दो तिहाई आबादी गांवों में रहती थी । ऐसा कहना है कि 2050 में 66 प्रतिशत लोग शहरी वातावरण में रहेंगे। इसमें सबसे ज्यादा एशिया और अफ्रीका में शहरीकरण होगा। शहरों में ज्यादातर लोग घर, पानी, सफाई , शौच और सफाई ,यात्रा के साधन, स्वास्थ्य के साधन के प्रबंध के लिए लगे रहते हैं। शहरीकरण का अर्थ है, संकरें ,गंदगी भरी असुरक्षित जगहों में ज्यादा व्यक्तियों का रहना और संक्रमण का इन परिस्थितियों में पनपते हैं। और जनसंख्या के अनुपात में सही स्वास्थ केंद्रों की कमी होना।

3.(Climate Change)
जलवायु परिवर्तन :-
जलवायु परिवर्तन का मानव जीवन में अहम भूमिका है। जीवन में भोजन, वायु और अति गर्मी औ अति ठंढक का सामना करना पड़ता है।जलवायु परिवर्तन बीमारियों को फैलाने, बढ़ाने में कारगर होता है। इसमें बिमारी फैलाने वाले कीड़े और मच्छरों की अहम भूमिका है।
(WHO) विश्व स्वास्थ्य संस्था के अनुसार 2030 से 2050 के समय जलवायु परिवर्तन से डेंगू और मलेरिया से मानव के मृत्यु दर में एक करोड़ से ज्यादा बढ़ोतरी होगी। जन जलवायु परिवर्तन के भीषड़ प्रकोप कारण जगह भी बदलते हैं, और भीड़ भरे जगहों में रहते हैं, या देश की सीमा भी पार करते हैं। इस तरह वाद -विवाद बढ़ते हैं, और रिफ्यूजी कैंपों में भीड़ बढ़ती है, और फिर संक्रमण भी बढ़ते हैं।

4़
मानव और जानवरों में संपर्क का बढ़ना :-
जिस तरह मनुष्यों और जानवरों के बीच संबंध बढ़ रहें हैं, उनसे जानवरों में होने वाले जुनोटिक बीमारियां भी बढ़ रही हैं। जब कीटाणु अपनी सीमायें लाँघ कर मनुष्य के शरीर में जाता है, तो उसके बेहिसाब बढ़ने और तीव्रता की सीमा भयानक होती है।
आबादी के अधिक बढ़ने पर, और जंगली खाना, और पर्यावरण पर अतिक्रमण करने वाले मानव वैसे जानवरों के नजदीक जाते हैं, जिसका मानव से कभी संबंध नही था । पर इस तरह की हालत से कई महामारियाँ शुरू हो गईं ।
ऐसा माना जाता है कि कोरोना का विश्वव्यापी महामारी का कारण चमगादड़ से आया है। जंगली जानवरों का राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मनुष्यों को जानवरों की बीमारियों के संपर्क में ले जाता है, जो जानवरों से मानव, फिर मानव से मानव संपर्क से मिलता है, और इस तरह ऐसी महामारियाँ फैलने लगती हैं।

5. लोगों की लापरवाही:-
महामारियों के समय भी लोगों में सही जागरूकता की कमी और लापरवाही बहुत ही मंहगा पड़ता है। लोग समझते हैं, कि उन्हें संक्रमण नही होगा। और सावधानी के उपायों की आवश्यकता को ना समझते हैं, ना सही से पालन करते हैं।

6.डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों की कमी:-

स्वास्थ्य सेवाओं की सुविधाओं की कमी के संग कम संख्या से ही डॉक्टरों, नर्सों, सेवा कर्मियों को महामारी का बोझ सहना पड़ता है। अत: जनसंख्या के अनुपात में डॉक्टर, नर्स, टेकनिशियन, स्वास्थ्य कर्मियों की कमी महामारी की स्थिति संभालने की कोशिश में कमजोर पड़ती है। और उन्हें महामारी के अत्यधिक बोझ को सहना पड़ता है।
इन सभी कारणों पर मानव को गहरा चिंतन मनन करना आवश्यक है, कि आगे ऐसी महामारियों की स्थितियों को आने से कैसे रोका जाय। अपना, अपने परिवार, समाज, देश को और संसार की अगली पीढ़ी को ऐसी आपदा से कैसे सुरक्षित रखा जाये।

डॉ आशा गुप्ता
स्त्रीरोग विशेषज्ञ एवं चिकित्सक
कवयित्री साहित्यकार
जमशेदपूर ,झारखंड

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