Jamshedpur,2 Sept:
किसी कवि को निजी प्रतिष्ठा की उतनी चाहत नहीं होती, जितने उसके शब्दों को सम्मान की. उनकी गढ़ी गयी कविता वर्तमान के साथ साथ भविष्य केे लिए भी नजीर बन जाए, ऐसा कौन रचनाकार नहीं चाहेगा. यदि लिखी हुई पंक्तियाँ अक्षरश: सही साबित हो जाये, तो ऐसे कवि की दूरदर्शिता को सलाम करना चाहिए. धनबाद के वीर रस के प्रखर एवं ओजस्वी कवि लाजपत राय ‘विकट’ ने वर्षों पहले “कश्मीर का दर्द” नामक शीर्षक कविता की रचना की थी जिसके एक-एक शब्द धारा 370 खत्म होने के बाद प्रमाणित हो हो गए।