तोक्यो
पैरालिंपिंक खेलों में भारत का स्वप्निल सफर जारी है। जैवलिन थ्रो में सुमित आंतिल ने सोमवार को गोल्डन भाला फेंका। एफ64 क्लास के इस खिलाड़ी ने अपने पहले ही ओलिंपिक में स्वर्ण पदक जीतकर हरियाणा में सोनीपत के गांव खेवड़ा का नाम रोशन किया।
बनाया वर्ल्ड रेकॉर्ड
सड़क हादसे में अपना एक पैर गंवाने वाले सुमित फाइनल में बेहतरीन फॉर्म में थे। एक के बाद एक उन्होंने तीन वर्ल्ड रेकॉर्ड तोड़े। पहले उन्होंने 66.95 मीटर दूर भाला फेंक विश्व कीर्तिमान स्थापित किया। फिर अपनी दूसरी ही कोशिश में 68.08 मीटर के स्कोर से अपना ही वर्ल्ड रेकॉर्ड सुधारा। पांचवीं कोशिश में इससे भी बेहतर थी। 68.55 मीटर के स्कोर के साथ सबसे आगे निकल गए।
सात पहुंची भारत की मेडल संख्या
इस तरह भारतीय खेमे के पास मेडल्स की कुल संख्या सात हो गई है, जो इन खेलों के इतिहास में अबतक का बेस्ट प्रदर्शन भी है। इससे पहले सुबह स्टार खिलाड़ी और दो बार के स्वर्ण पदक विजेता देवेंद्र झाझरिया ने सिल्वर जीता था। पुरुषों के इसी भाला फेंक के एफ46 स्पर्धा में सुंदर सिंह गुर्जर को कांस्य पदक मिला, वह झाझरिया के बाद तीसरे स्थान पर रहे। चक्का फेंक में योगेश कथूनिया ने दूसरा स्थान हासिल किया था।
ऐसा रहा ओलिंपिक तक का सफर
साल 2015 में सड़क दुर्घटना में अपना एक पैर गंवाने वाले सुमित ने कई माह अस्पताल में गुजारे। 2016 में पुणे में उन्हें नकली पैर लगाया गया। कोच वीरेंद्र धनखड़ ने मार्गदर्शन किया। सुमित को साई सेंटर से दिल्ली लेकर पहुंचे। साल 2018 में एशियन चैंपियनशिप में 5वीं रैंक मिली। अगले साल 2019 में वर्ल्ड चैंपियनशिप में रजत पदक जीता। इसी साल हुए नेशनल गेम्स में सुमित ने गोल्ड जीतकर खुद को साबित किया।