Chandil,27 August: नक्सली महाराज प्रामाणिक की गिरफ्तारी या सरेंडर, इस पर 24 घंटे से ज्यादा वक्त गुजरने के बाद भी तस्वीर आधिकारिक रूप से साफ नहीं की गयी है। जैसी कि सूचना है महाराज प्रामाणिक पर उसके संगठन ने मौत का फरमान जारी किया है, क्योंकि संगठन का कहना है कि उसने एक सहयोगी के साथ मिलकर गद्दारी की है और माओवादी संगठन का 40 लाख रुपया और हथियार लेकर भागा है। मौत के फरमान के बाद प्रामाणिक के पास पुलिस की शरण होते हुए जेल के अलावा कोई रास्ता नहीं दिखा। वह कथित रूप से पुलिस के संपर्क में था। उसको कल तड़के रांची पुलिस उसके सरायकेला पुलिस ज़िला अंतर्गत ठिकाने से उठाकर रांची ले गयी। महाराज प्रामाणिक के बारे में सूत्रों के अनुसार पैसे कुछ व्यावसायिक फर्मों में निवेश करने की भी सूचना है जिसमे एक नेता का खनिज ट्रांसपोर्ट और ठेका कंपनी का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। पुलिस उसको सरेंडर की टोपी और सुविधा देने के बजाए गिरफ्तारी ही सही मानती है। नक्सल के नाम पर धंधा के साथ सरेंडर सुविधा देना किसी को रास भी नहीं आएगा। सरेंडर के अंतिम समय मे महाराज प्रामाणिक द्वारा वसूली तेज कर दी गयी थी। यहां तक कि एक विधायक तक को उसके नाम पर चिट्ठी भेजी गई थी। पुलिस जब पूरे मामले को सार्वजनिक करने से परहेज कर रही है तब उसके निवेश के भी तार खोजे, ताकि कई सफेदपोश चेहरे बेनकाब हो जाएं। फिलहाल आला पुलिस अधिकारियों की सख्त हिदायत है कि इस संबंध में कोई सूचना मीडिया से किसी स्तर पर शेयर नहीं की जाय।
माओवाद और नक्सल गतिविधियों के विकृत स्वरूप का महाराज प्रामाणिक जीता जागता नमूना है।