केंद्र सरकार ने भ्रष्टाचार पर सख्त रूख अपनाने का नया प्लान बना लिया है। मामला पूर्व सीबीआई डॉयरेक्टर आलोक वर्मा से जुड़ा है, जिन पर कार्यालय का उपयोग करके भ्रष्टाचार करने का आरोप है। जिसको लेकर केंद्र सरकार एक्शन लेकर छानबीन करने के मूड में है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सीबीआई के पूर्व निदेशक आलोक वर्मा के खिलाफ कथित रूप से अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग करने और संबंधित सेवा नियमों का उल्लंघन करने के लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की है। प्राप्त जानकारी के अनुसार गृह मंत्रालय (एमएचए) ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के नोडल मंत्रालय कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) को पत्र लिखकर आलोक वर्मा के खिलाफ आवश्यक अनुशासनात्मक कार्रवाई करने को कहा है।
क्या होगा असर
आलोक वर्मा पर अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग करने और सेवा नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है। एक वरिष्ठ अधिकारी की ओर से जानाकीर दी गई है कि गृह मंत्रालय द्वारा उनके खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की सिफारिश की गई है। बता दें कि गृह मंत्रालय आईपीएस अधिकारियों के लिए कैडर नियंत्रण प्राधिकरण है। अधिकारियों ने बताया कि डीओपीटी ने गृह मंत्रालय की सिफारिश संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को भेज दी है। अधिकारियों के अनुसार अगर कार्रवाई को मंजूरी दी जाती है, तो वर्मा की पेंशन और सेवानिवृत्ति लाभ पर रोक लग सकती है।
भ्रष्टाचार के मामले में आपस में ही भिड़े थे दो टॉप अफसर
सीबीआई में अपने कार्यकाल के दौरान, 1979-बैच (सेवानिवृत्त) भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारी, वर्मा, गुजरात-कैडर के IPS अधिकारी और उनके डिप्टी राकेश अस्थाना के साथ भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर लड़ाई खुलकर सामने आई। वर्मा और अस्थाना दोनों ने एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। अस्थाना अब दिल्ली पुलिस कमिश्नर हैं।