हाई कोर्ट ने कहा कि महज शादी के लिए धर्म परिवर्तन करना सरासर गलत है, धर्म आस्था का विषय है
इलाहाबाद
यूपी के इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मंगलवार को लव जिहाद के एक मामले में इतिहास का उदाहरण दिया। हाई कोर्ट ने कहा कि महज शादी के लिए धर्म परिवर्तन करना सरासर गलत है, धर्म आस्था का विषय है। इस मामले में कोर्ट ने मुगल बादशाह अकबर और उनकी पत्नी जोधाबाई के जीवन का जिक्र किया।
कोर्ट ने कहा, जबरन धर्मपरिवर्तन में धर्म विशेष के प्रति कोई आस्था नहीं होती। ऐसा फैसला दबाव में लिया जाता है। महज शादी के लिए किया गया धर्म परिवर्तन निरर्थक है, इसकी कोई संवैधानिक मान्यता नहीं है। इसी संदर्भ में कोर्ट ने अकबर और जोधा का जिक्र किया।
मामले की सुनवाई में कोर्ट ने कहा कि अकबर ने जोधाबाई के साथ बिना धर्म परिवर्तन के विवाह किया था। दोनों ने एक-दूसरे के धर्म का सम्मान किया और धार्मिक भावनाओं का आदर भी किया। इसलिए दोनों के बीच के रिश्ते में धर्म कभी बाधा नहीं बना।
मामला यूपी के एटा जिले के जावेद की जमानत याचिका पर सुनाई का था। जावेद पर आरोप है कि उसने एक हिंदू लड़की का पहले धोखे से धर्मपरिवर्तन कराया फिर बाद में निकाह कर लिया। लड़की ने मैजिस्ट्रेट के सामने धोखाधड़ी की बात कही। लड़की के बयान पर ही जावेद को अरेस्ट कर जेल भेज दिया गया है। जावेद की जमानत याचिका पर ही कोर्ट ने यह बयान दिया और उसकी याचिका खारिज कर दी।