चांडिल अनुमंडल में जमीन दलालों का बोलबाला, संपादक की भूमिका नहीं

चांडिल । चांडिल अनुमंडल क्षेत्र में जमीन दलालों की सक्रियता और इन्हें एक अखबार समूह के संपादक का साथ संबंधी प्रकाशित
खबर में पता चला है कि संपादक के नाम को उछाल कर अन्य दलाल जहां प्रशासन को गुमराह करते रहे वहीं संस्थान में भी उन्हें बदनाम करने की कोशिश में लगे रहे।चिलगु में पिछले दिनों हुई घटना में यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि संपादक के नाम पर किसने ज़िला प्रशासन को फ़ोन कर सहायता मांगी जब कथित दलाल क्षुब्ध ग्रामीणों से घिर गए थे और ग्रामीण जब उनकी पिटाई करने पर आमादा थे। चांडिल इलाके में चारों ओर जमीन की खरीद बिक्री की दलाली जोरों पर चल रही हैं, जिसमें सरकारी व सीएनटी जमीन की लूट मची हुई हैं। हर चौक चौराहे और ढाबों में जमीन कारोबारियों को अड्डेबाजी करते देखने को मिलता हैं। इस जमीन खरीद बिक्री के खेल में सरकारी अधिकारियों, सफेदपोश व कतिपय मीडिया कर्मियों की अहम भूमिका है।
गत दिनों जमीन दलाली के चक्कर में मॉब लिंचिंग होते होते रह गई। उग्र भीड़ द्वारा कुछ लोगों को घेरकर रखने का मामला सामने आया । बताया जाता है कि ग्रामीण उन दलालों की पिटाई करने का योजना बना रहे थे। गनीमत रही कि ठीक समय पर पहुंचकर पंचायत के मुखिया व ग्रामप्रधान तथा कुछ सामाजिक कार्यकर्ता के हस्तक्षेप से मॉब लिंचिंग होने से बच गई। घटना चांडिल के काठजोड़ गांव की है। चांडिल थाना क्षेत्र के चिलगु पंचायत अंतर्गत काठजोड़ गांव में गत 9 जुलाई (शुक्रवार) को कुछ लोग आदिवासी जमीन (सीएनटी) की खरीदारी में दलाली करने आए थे। इसकी सूचना मिलते ही ग्रामीणों ने उन्हें घेर लिया और पूछताछ शुरू कर दी। ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार काठजोड़ निवासी फूलचांद सिंह, जगन्नाथ सिंह, बलराम सिंह, लक्ष्मण सिंह, मकुल चांद सिंह, चरण सिंह, भारती देवी, शंभु सिंह, कन्हाई सिंह, दिगम्बर सिंह, डमन सिंह आदि की जमीन को कुछ दलाल जमीन हड़पने की नीयत से सादा कागज पर हस्ताक्षर करवा रहे थे। इसकी जानकारी मिलने पर उन लोगों को पकड़कर कर पूछताछ की जा रही थी। बताया जाता है कि काठजोड़ मौजा के खाता संख्या 148 में करीब 80 बीघा जमीन की खरीद बिक्री का यह खेल कई दिनों से चल रहा है। इस 80 बीघा जमीन में करीब 15 बीघा सरकारी जमीन व सड़क भी है। वहीं, आदिम जनजाति समुदाय का श्मशान भी है। ग्रामीणों ने बताया कि यहां के इंद्रा सबर (आदिम जनजाति) से दलालों ने एग्रीमेंट में हस्ताक्षर कराया है, जो कि बिल्कुल नियम के विरुद्ध है। मुखिया नरसिंह सरदार व काठजोड़ के ग्रामप्रधान आनंद सिंह ने बताया कि गांव के आदिवासी समुदाय की जमीन को खरीदने के लिए कुछ लोग आए थे और कुछ लोगों से हस्ताक्षर करवा रहे थे, जिससे आक्रोशित ग्रामीणों ने उनलोगों से पूछताछ शुरू कर दी थी। लेकिन स्पष्ट जानकारी नहीं मिलने से ग्रामीणों ने नाराजगी जताई और हमें सूचना दी जिसके बाद मौके पर पहुंच कर मामले को शांत कराया। मुखिया व ग्रामप्रधान के हस्तक्षेप के बाद उनलोगों को छोड़ दिया गया। ग्रामीणों ने बताया कि चार लोग कार में सवार होकर आए थे।जिसमें एक बैंक अधिकारी भी थे। बैंक अधिकारी को जमीन दिखाने के लिए लाया गया था ताकि लोन स्वीकृति मिल सके।

Share this News...