Chandil :जरियाडीह गांव में फैक्ट्री के लिए जमीन पर छिड़ा विवाद

प्रशासन ने जरियाडीह निर्माणाधीन कंपनी की जमीन मापी कराया

ग्रामीणों ने कहा सरकारी व धार्मिक स्थल पर हो रहा अतिक्रमण

रैयतों ने कहा कोई धार्मिक स्थल नहीं, मुद्रा मोचन के लिए कुछ लोग धर्म की आड़ में कर रहे राजनीति

Chandil,14 July : प्रखंड के जरियाडीह में क्रिस्टल मेटाफॉम प्रा० लिमिटेड नामक कंपनी स्थापित हो रही हैं। कंपनी का काम चालू है,लेकिन रैयतों व कुछ ग्रामीणों के बीच विवाद भी चल रहा हैं। यहां ग्रामीणों का एक पक्ष जमीन के एक हिस्से को सरकारी व धार्मिक स्थल बता रहा हैं और उसे मुक्त कराने की मांग कर रहा हैं। एक समूह जो कि रैयत हैं, वह कंपनी बसाने के पक्ष में है। गत तीन महीने से यहां विवाद चल रहा हैं लेकिन अबतक समाधान के लिए कोई पहल नहीं हुई हैं। ग्रामीणों की शिकायत पर सरायकेला खरसवां उपायुक्त ने पूरे मामले की जांच रिपोर्ट मांगी है। आज चांडिल अनुमंडल पदाधिकारी के निर्देश पर अंचल कार्यालय की ओर से विवादित जमीन की नापी की गई। इससे पहले भी दो बार नापी हो चुकी हैं। बुधवार को यहां अंचल के कर्मचारी की उपस्थिति में जमीन मापी की गई।

शैलेन्द्र हांसदा ने स्वयं को जरियाडीह ग्रामसभा का कोषाध्यक्ष बताते हुए कहा कि क्रिस्टल मेटाफॉम प्रा० लिमिटेड कंपनी द्वारा 14 एकड़ जमीन पर फैक्टरी लगाया जा रहा है। इसमें करीब 5 एकड़ सरकारी जमीन है व बाकी 9 एकड़ सीएनटी जमीन है। शैलेन्द्र हांसदा ने बताया कि नियमानुसार गांव की सरकारी जमीन ग्रामसभा के अधीन होती हैं। इसलिए प्रथम अधिकार ग्रामसभा का होता हैं और ग्रामसभा के अनुमति बिना कोई काम नहीं होना चाहिए। उन्होंने बताया कि उक्त सरकारी जमीन पर आदिवासियों का पारंपरिक पूजा स्थल भी है। इसको अतिक्रमण किया जा रहा है, यहां लगे हुए महुआ, जामुन व पलाश के पेड़ों को काटा गया है। ग्रामीणों से बगैर बातचीत किए व ग्रामसभा से अनापत्ति प्रमाण पत्र लिए बिना ही फैक्टरी बसाने का काम शुरू कर दिया गया है। शैलेंद्र हांसदा ने बताया कि सरकारी जमीन अतिक्रमण के खिलाफ विरोध करने के लिए ग्रामीण चांडिल अनुमंडल पदाधिकारी के पास पहुंचे थे। अनुमंडल पदाधिकारी का कहना है कि सरकारी जमीन फैक्टरी को लीज पर दी गई हैं, जिसमें सभी नियमों का पालन किया गया है। ग्रामीणों का कहना है बगैर ग्रामसभा के लीज देना नियम के विरुद्ध है।
झारखंड गांव गणराज्य परिषद के अध्यक्ष कुमार चंद्र मार्डी ने कहा कि आदिवासियों की जमीन के साथ साथ सरकारी जमीन की लूट हो रहीं है। इसपर अविलंब रोक लगाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि बिना ग्रामसभा के कोई भी सरकारी या गैरसरकारी काम नहीं हो सकता है। सीएनटी जमीन की खरीद बिक्री के लिए पेशा एक्ट के तहत कई नियम है, उन नियमों की अनदेखी की गई हैं। नियमों का उलंघन कर सीएनटी जमीन पर अतिक्रमण करने में अधिकारियों व नेताओं का अहम भूमिका है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में जिस तरह से आदिवासियों की जमीन लूट हो रही हैं, इसके जिम्मेदार सभी राजनीतिक दलों के नेता हैं।
संयुक्त ग्रामसभा मंच के संयोजक अनूप महतो ने कहा कि वर्तमान समय में चारों ओर जमीन से जुड़ा हुआ मामला सामने आ रहा है, इसमें कहीं न कहीं आदिवासियों की परंपरा और संस्कृति पर प्रहार हो रहा है। जो जिम्मेदार अधिकारी हैं वह दायित्व निर्वहन के बजाय अपने ऑफिस में बैठकर कुर्सी तोड़ रहे हैं। अनूप महतो ने जरियाडीह में हो रहे कंपनी निर्माण कार्य पर अविलंब रोक लगाते हुए पूरे मामले की जांच करने की मांग की है।
जमीनदाताओं ने कहा कि कुछ लोगों ने निजी स्वार्थ सिद्धि के लिए ग्रामसभा और धार्मिक स्थल का झूठा प्रपंच तैयार करके राजनीतिक ड्रामा शुरू किया है। जरियाडीह निवासी जमींदाता रवि सिंह सरदार ने कहा है कि कुछ लोग मुद्रा मोचन करने के उद्देश्य से कंपनी निर्माण में बाधक बन रहा है, वह लोग जरियाडीह के निवासी भी नहीं हैं बल्कि बाहरी हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामसभा में सर्वसम्मति से निर्णय लेने के बाद ही कंपनी को हम सभी रैयतों ने जमीन दी है, ताकि स्थानीय बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिले। मनोज सिंह सरदार ने बताया कि कुछ लोग धार्मिक स्थल बताकर राजनीतिक रोटी सेंक रहे हैं जबकि वहां पर कोई भी धार्मिक स्थल नहीं था और न अब है। यदि धार्मिक स्थल है तो उसे प्रमाणित करें। यदि धार्मिक स्थल होगा तो हम भी कंपनी का विरोध करेंगे। मनोज सिंह ने कहा कि हमने अपने पूर्वजों की जमीन कंपनी लगाने के लिए दी हैं। हमें रोजगार के लिए यहां वहां भटकना पड़ता है। कंपनी लगने से हमारे घर के सदस्यों को काम मिलेगा।

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