जमशेदपुर: सिख समाज के प्रीतपाल सिंह एवं उसकी बेटी द्वारा आत्महत्या के मामले में दिवंगत प्रीतपाल सिंह की पत्नी द्वारा सिख समाज के बड़े नेता सरदार शैलेन्द्र सिंह के खिलाफ शिकायती मामले ने समाज के दो गुटों के बीच व्याप्त शीतयुद्ध को अब सतह पर ला खड़ा किया है. स्टेशन रोड गुुरुद्वारा कमिटी द्वारा शैलेन्द्र सिंह के पक्ष में जारी बयान और अघोषित रूप से सीजीपीसी के प्रधान गुरमुख सिंह मुखे पर शैलेन्द्र सिंह का नाम फंसाने के आरोप पर मुखे ने आज शाम तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की. उन्होंने कहा कि सीजीपीसी से स्टेशन रोड गुरुद्वारा कमिटी ने बहुत पहले ही एक पत्र लिख कर अपना संबंध तोड़ लिया था. तब आज उसके एक पदाधिकारी द्वारा किस हैसियत से सीजीपीसी के वरीय उपाध्यक्ष की हैसियत से बयान दिया गया है जिसमेंं शैलेन्द्र सिंह को फंसाने की बात कही गई है. शैलेन्द्र सिंह के संबंध में मुखे ने कहा कि वह समाज के नेता हैं लेकिन बिना लेन देन किए कोई मामला नहीं सलटाते. वे सफेदपोश माफिया हैं. हर छोटे-बड़े मामले में आगे रहने वाले शैलेन्द्र सिंह प्रीतपाल सिंह व उसकी बेटी द्वारा आत्महत्या की सूचना मिलने पर घटनास्थल पर तो पहुंचे लेकिन वहां से मुंह छिपा कर क्यों भाग गए और फिर उसके बाद कभी भी उस परिवार की हमदर्दी में और न ही अखंड पाठ व भोग में शामिल होने पहुंचे. मैंने शैलेन्द्र सिंह के खिलाफ कभी कुछ नहीं कहा, न ही उनका घसीटने के लिए किसी को उकसाया. मेरा इतना ही कहना है कि प्रीतपाल सिंह की पत्नी ने जो-जो मोबाइल नंबर दिए हैं उनके सीडीआर पुलिस निकाले व पता करे कि यौन शोषण के मामले को उठाने के लिए कौन-कौन लोग उस परिवार पर दबाव बना रहे थे. पुलिस पूरे मामले की जांच करे. मुखे ने कहा कि 2014 से वे कभी शैलेन्द्र सिंह के पास नहीं गए, वही उनसे मिलने आते थे. शैलेन्द्र सिंह को इसी बात का खुन्नस है कि मुखे उनके पास नहीं जाता जबकि उनसे मेरा 1986 से संबंध है. शैलेन्द्र सिंह कहते हैं कि मेरे कथित आपराधिक चरित्र के कारण उन्होंने सीजीपीसी में आना बंद कर दिया तब क्या 2002 में उन्होंने अपनी अगुवाई वाली सीजीपीसी कमेटी में मीत प्रधान क्यों बनाया था? क्या वे मेरा इस्तेमाल करना चाहते थे, उस समय उन्होंने मेरा आपराधिक चरित्र नहीं देखा. पिछले दिसम्बर में जब मैं जेल से रिहा हुआ तब जेल गेट पर फूलों की पहली माला सरदार शैलेन्द्र सिंह ने ही मेरे गले मेंं डाली थी. मुखे ने ईस्ट प्लांट बस्ती में समाज के एक व्यक्ति का मकान बिकवाने में शैलेन्द्र सिंह का हाथ होना बताया जिसकी परिणति उस परिवार के एक व्यक्ति द्वारा आत्महत्या के रूप मेंं हुई थी.