ऑनलाइन कक्षाओं में भाग लेने के लिए तुलसी मोबाइल फोन खरीदने के लिए आम बेचकर जुटा रही थी पैसे
जमशेदपुर: कोविड-19 महामारी और इसकी वजह से देश के विभिन्न हिस्सों में लागू लॉकडाउन से बहुतों के जीवन में तमाम तरह की परेशानियाँ आ खड़ी हुई हैं। हालाँकि इससे हार न मानते हुए बहुत से लोग हैं, जो अपने जीवन में आयी चुनौतियों का डट कर सामना कर रहे हैं। जमशेदपुर निवासी 12 वर्षीय बालिका तुलसी कुमारी ऐसे ही लोगों में से एक है। लेकिन तुलसी के इस जीवन संघर्ष को फलीभूत करने के लिए मुंबई की एक कंपनी वैल्यूएबल एडुटेनमेंट प्रा. लि. ने पूरा साथ दिया है। कंपनी ने तुलसी कुमारी से मात्र एक दर्जन आम 1.20 लाख रुपये में खरीद लिए। इस तरह तुलसी अपनी ऑनलाइन कक्षाओं को फिर से शुरू करने के लिए एक एंड्रॉइड फोन खरीदने के अपने सपने को पूरा करने में सफल हुई है।
जमशेदपुर के स्ट्रैट माइल रोड के आउट हाउस में अपने माता-पिता के साथ रहने वाली और 5वीं कक्षा की छात्रा तुलसी विगत दिनों कीनन स्टेडियम के पास तालाबंदी के दौरान आम बेच रही थी। इससे एक ऐसी कहानी सामने आयी, जिसे सुन और पढ़ कोई भी भाव-विह्वल हुए नहीं रह सकता था। तुलसी ने बताया कि वह 5000 रुपये कमाना चाहती है ताकि वह एक फोन खरीद सके और अपनी ऑनलाइन पढ़ाई फिर से शुरू कर सके, जो एक एंड्रॉइड गैजेट के अभाव में शुरू नहीं कर पा रही थी। कहानी सोशल मीडिया पर वायरल हो गयी। तुलसी के प्रति लाखों लोग सहानुभूति व्यक्त करने लगे।
लेकिन वैल्यूएबल एडुटेनमेंट प्रा.लि. के प्रबंध निदेशक अमेया हेटे सिर्फ सहानुभूति व्यक्त करने तक नहीं रुके। उन्होंने मात्र 12 आम 10,000 रुपये प्रति आम के हिसाब से 1,20,000 रुपये में खरीद लिया। उन्होंने पूरी राशि तुलसी के पिता के बैंक खाते में स्थानांतरित कर दी। उन्होंने पत्र लिखा “आपकी दृढ़ता और संघर्ष की कहानी को मीडिया पोर्टल द्वारा आगे लाया गया था और वर्षा जहाँगीरदार द्वारा मेरे संज्ञान में लाया गया था। आप जैसे कई छात्र हैं; जो आवश्यक बुनियादी ढाँचे की कमी के कारण ऑनलाइन सीखने के नये युग का सामना करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। मैं वास्तव में इस तथ्य से प्रभावित हूँ कि आपने हार नहीं मानी और इससे निपटने के लिए संघर्ष किया। आपने साबित कर दिया है कि ‘जहाँ चाह है, वहाँ राह है’। आपने ‘इच्छा’ दिखाई है, हम ‘रास्ता’ खोजने में आपकी मदद कर रहे हैं।”
वैल्युएबल एडुटेनमेंट प्रा.लि. कंपनी पूरे भारत में ऑनलाइन शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रही है और कनेक्टिविटी की खाईं को पाटने की कोशिश कर रही है। इसने कई ‘तुलसी’ को ई-लर्निंग में अपनी समस्या सुलझाने और जीवन में अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद की है। श्री हेटे ने आगे कहा है कि कंपनी को उम्मीद है कि कई और छात्र उनसे प्रेरणा लेंगे।
इस सिलसिले में तुलसी का कहना था, हाँ, मैंने आम बेचे और एक फोन खरीदने के लिए पैसे जुटाने में लगी हुई थी, ताकि मैं अपनी पढ़ाई ऑनलाइन फिर से शुरू कर सकूँ। अब मैंने एक फोन खरीद लिया है और मैं कक्षा में जाऊँगी। तुलसी ने फोन पर बताया, 5वीं कक्षा के एक सरकारी स्कूल में जाना बंद कर दिया था; क्योंकि महामारी के कारण लगे लॉकडाउन ने स्कूल को ऑनलाइन पढ़ाने के लिए मजबूर कर दिया था। लॉकडाउन के कारण मेरे पिता की नौकरी छूटने के बाद मेरा परिवार आर्थिक संकट का सामना कर रहा था। तुलसी पढ़ना चाहती थी लेकिन नहीं कर पा रही थी।क्योंकि उसके पास सरकारी स्कूल द्वारा शुरू की गई ऑनलाइन कक्षाओं के लिए आवश्यक कोई एंड्रॉइड फोन नहीं था। तुलसी ने बताया कि अब वह स्वयं पढाई करेगी और साथ मे दो बहनें रोशनी तथा दीपिका को भी पढ़ाएगी। उसका सपना है कि तीनों बहन टीचर बनकर गरीब बच्चों के बीच शिक्षा का प्रसार करेंगी, जिससे कोई भी गरीब शिक्षा से वंचित न रह सके।