रांची : लौह अयस्क खनन करने वाली कंपनी शाह ब्रदर्श को फिर से रद खनन पट्टा से खनन की अनुमति दिए जाने के खिलाफ विधायक सरयू राय ने मंगलवार को अपने डोरंडा स्थित आवास में संवाददाता सम्मेलन की। उन्होंने कहा कि यह पहली बार है जब बिना किसी सक्षम पदाधिकारी के आदेश के पश्चिमी सिंहभूम जिले के जिला खनन पदाधिकारी ने खनन पट्टा रद हो चुके खदान से लौह अयस्क भंडार को बेचने के लिए चालान दे दिया और वहां के सारंडा वन प्रमंडल के वन पदाधिकारी ने भी इस लौह अयस्क के परिवहन के लिए अपने स्तर से परमिट जारी कर दिया।
उन्होंने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी की है। विधायक सरयू राय ने संवाददाता सम्मेलन में यह घोषणा की है कि कि अगर शाह ब्रदर्श को खनन की अनुमति रद नहीं हुई और अनुमति देने वाले पदाधिकारियों के विरुद्ध विधि सम्मत कार्रवाई नहीं हुई तो इस पूरे मामले में कार्रवाई के लिए वे वैकल्पिक रास्ता अपनाएंगे। वे इस मामले को लेकर भारत सरकार से लेकर हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे, लेकिन चुप नहीं बैठेंगे। विधायक सरयू राय ने बताया कि चार दिन पहले ही उन्होंने मुख्यमंत्री को लिखित आवेदन देकर इस पूरे प्रकरण से अवगत कराया है।
बताया है कि दोनों ही पदाधिकारियों ने जो कृत्य किया है, वह अपराधिक श्रेणी का है और इसके लिए दोनों को निलंबित किया जाना चाहिए और उनपर प्राथमिकी दर्ज होनी चाहिए। उन्होंने मुख्यमंत्री को यह भी बताया है कि उनके माध्यम से मुख्यमंत्री के संज्ञान में पहले भी इस मामले को लाया गया है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। करमपदा स्थित लौह अयस्क से खनन पट्टा अब तक रद है। राज्य सरकार के खनन विभाग ने अवैध तरीके खनन के मामले में 42 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था। जुर्माना नहीं देने पर ही खनन पट्टा रद किया गया था।
इसके बावजूद बिना किसी सक्षम पदाधिकारी के निर्देश के दोनों पदाधिकारियों ने अपने स्तर से खनन की अनुमति दे दी है, जो अनुशासनहीनता और दंडनीय है। सरयू राय ने बताया कि सारंडा वन प्रमंडल के वन पदाधिकारी ने जिला खनन पदाधिकारी के जारी किए गए चालान को आधार बनाकर खदान से बिक्री के लिए ले जाने वाले लौह अयस्क के लिए परिवहन परमिट दे दिया है। नियम है कि खनन पट्टा रद हो चुके खदान या उस खदान से जिसे वन मंजूरी नहीं है या उस खदान से जिस पर सरकार का बकाया है, लौह अयस्क के उठाव के लिए परिवहन परमिट नहीं दिया जा सकता है।