Chakradharpur: पश्चिम सिंहभूम जिले में चिकित्सा व्यवस्था का हाल क्या है वह आप रविवार की घटना को जानकर समझ सकते हैं। रविवार को चक्रधरपुर हरिजन बस्ती में गैस में खाना बनाते हुए एक 12 साल की बच्ची रितिका मुखी दोपहर में जल गई। उसे बेहतर इलाज के लिए चाईबासा रेफर किया गया।50% तक जल चुकी रितिका मुखी दर्द से तड़प रही थी उसे बर्न यूनिट के बजाय चाईबासा सदर अस्पताल के जनरल वार्ड में घण्टों खुले में रखा गया जहां उसकी हालत बिगड़ती जा रही थी। इसकी सूचना मिलते ही गिरिराज सेना प्रमुख कमलदेव गिरि अपनी टीम को लेकर सदर अस्पताल पहुंचे और उसे जमशेदपुर एमजीएम रेफर करवाया गया। कमलदेव गिरि की टीम ने बच्ची के इलाज के लिए उसकी बहन को आर्थिक मदद दी।
सोनुआ से भी एक 16 साल की बच्ची खाना बनाते हुए झुलस गई। उसे भी एम्बुलेंस की व्यवस्था और आर्थिक सहयोग कर सदर अस्पताल से जमशेदपुर एमजीएम भेजने का काम कमलदेव गिरि और उनकी टीम ने किया।
कमलदेव गिरी ने सवाल उठाया कि आग में झुलसी बच्ची को समय पर एमजीएम बर्न यूनिट क्यों नहीं भेजा गया, 50% झुलस चुकी बच्ची की जान से ऐसा खिलवाड़ क्यों ?
कमलदेव गिरि ने बताया कि चाईबासा सदर अस्पताल परिसर में एक बर्न यूनिट भवन भी है, लेकिन बर्न यूनिट के अंदर घुसने पर उसके अंदर कचड़े का ढेर मिला, जबकि आग से झुलसे मरीज पश्चिम सिंहभूम जिले में बर्न यूनिट के अभाव में तड़पते हैं और उनकी जान तक चली जाती है।
मौक़े पर गिरिराज सेना के उपेंद्र रजक, अभिषेक पोद्दार, राजेश्वर पाण्डेय, चमन लाल, आलोक साव, सुमित पोद्दार आदि सदस्य उपस्थित थे।।