Jamshedpur,6 June : सरायकेला-खरसावां के जिला खनन पदाधिकारी की मनमानियों से वाहन मालिक और उनसे जुड़े अन्य कारोबारी तबाह हैं. इस पदाधिकारी पर आरोप है कि वह वाहनों की धर पकड़ के नाम पर भयादोहन का ऐसा जाल बिछाते हैं कि ‘नौ की लकड़ी नब्बे खर्च’ अदा कर भी कारोबारी अपना व्यापार नहीं बचा सकते. हाल ही एक भयादोहन के मामले में उनपर सरायकेला कोर्ट ने मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है. पिछले तीन वर्षों से इस जिले में जमे उक्त पदाधिकारी बड़े वाहनों की धर पकड़ के बावजूद ट्रैक्टर चलाकर जीवन यापन करनेवालों से भी वेतहाशा वसूली का अभियान चलाते हैं और इसी क्रम में उक्त मुकदमा हुआ है. ऐसे अनेक व्यापारी उनकी चपेट में हैं, लेकिन सरायकेला इस कारोबारी ने उनके खिलाफ खड़ा होने का साहस किया और अदालत का दरवाजा खटखटाया और अदालत ने एक सरकारी पदाधिकारी पर मुकदमा कायम करने का आदेश जारी किया. अदालत के इस रुख पर कारोबारियों को कलेजे में ठंडक पहुंची है. अब सरकार से उनकी उम्मीद है कि वे अदालत के आदेशानुसार जल्दी से जल्दी प्राथमिकी दर्ज कराकर उनके विरुद्ध शिकायतों की जांच करे एवं तत्काल उन्हें जिले से हटाएं, ताकि वे शिकायतकर्ताओं को प्रभावित न कर पाएं. यह मामला सरायकेला का है लेकिन इसके अलावा भी कुछ अन्य थानों में भी उसी तरह वाहनों को नाजायज ढंग से रोककर रखने और सड़ाने की शिकायत मिल रही है. कुछ जगहों पर छापामारी करने के बाद वे मुकदमा नहीं करते.
खनन पदाधिकारी द्वारा भयादोहन कर पकड़े गए ट्रैक्टर को छोडऩे के नाम पर रिश्वत मांगने का मामला सामने आया है जिसमें सरायकेला निवासी पीडि़त पिनायक दुबे ने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में आवेदन देकर न्याय की गुहार लगाई है। अधिवक्ता अशोक रथ ने बताया कि तीन महीने पहले जिला खनन पदाधिकारी ने तीन ट्रैक्टर जप्त किए गए थे जिनमें से दो ट्रैक्टरों को फाइन वसूल कर छोड़ दिया गया। तीसरे ट्रैक्टर पर ना तो फाइन वसूली की और ना ही मुकदमा दर्ज किया गया। बाद में उक्त ट्रैक्टर को सरायकेला थाना के समीप जप्त कर रख लिया गया। ट्रैक्टर के मालिक पिनायक दुबे का आरोप है कि खनन पदाधिकारी ने उससे साठ हजार रुपया (60,000) रिश्वत मांगी. रिश्वत नहीं देने पर दूसरे केस में फंसाने की बात कहीं. तहकीकात करने से पता चला है कि तीन महीने से सरायकेला थाना के समक्ष खड़े ट्रैक्टर में पौधे उग आए हैं। अधिवक्ता ने कहा कि मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी द्वारा मामले पर संज्ञान लेते हुए तत्काल सरायकेला थाने को इस संबंध में मामला दर्ज कर कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं.
बताया जाता है कि गत दिनों जिले के चांडिल थाना क्षेत्र के चिलगु व भुइयांडीह में चल रहे अवैध क्रशर व पत्थर खनन के खिलाफ खनन पदाधिकारी ने छापेमारी की थी लेकिन अब तक किसी तरह का मामला दर्ज नहीं कराया है। जिसके चलते खनन पदाधिकारी की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं। इस संबंध में चांडिल थाना प्रभारी सनोज कुमार चौधरी ने बताया कि खनन विभाग ने छापेमारी के बाद किसी तरह का मामला दर्ज नहीं कराया है। विभाग ने केवल पुलिस को सूचना दी है जिसमें बताया गया है कि चिलगु व भुइयांडीह में संचालित क्रशरों में छापेमारी की गई हैं, जिसकी देखरेख चांडिल पुलिस को करने को कहा गया है। थाना प्रभारी ने बताया कि खनन विभाग न क्रशर के खिलाफ छापेमारी करने के बाद न ही एफआईआर दर्ज कराया है और न क्रशरों को सील किया गया है। ऐसे में पुलिस क्या कर सकती हैं? थाना प्रभारी ने बताया कि उन्होंने भी इस संबंध में रिपोर्ट तैयार कर संबंधित अधिकारियों को दी है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिले के एक अन्य थाना में भी एक बालू लोड हाइवा को जप्त कर तीन महीने से रखा गया है। लेकिन अबतक न ही एफआईआर दर्ज कराया है और न ही जुर्माना लगाया गया है। बालू संचालक नागेश्वर महतो से संपर्क कर खनन पदाधिकारी ने रिश्वत मांगी है।
बताया जाता है कि उक्त खनन पदाधिकारी पिछले तीन साल से अधिक समय से सरायकेला खरसवां जिला में जमे हुए हैं और वरीय अधिकारियों द्वारा इनके कारनामों को नजरंदाज किया जाता है।