कोल्हान भाजपा- चाईबासा के नेताओं के साथ वर्चुअल बैठक कर अर्जुन मुंडा ने की जोश भरने की कोशिश

चाईबासा, 3 जून : शिथिल पड़े भाजपा जिला संगठन में जोश और समन्वय कायम करने की एक कोशिश आज नजर आई. कोल्हान में भाजपा का पत्ता साफ होने के बाद और हाल में आदिवासी चेहरा पूर्व अध्यक्ष और पूर्व सांसद लक्ष्मण गिलुआ के असामयिक निधन से संगठन की स्थिति अनाथ हो गई है.
आज केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने जिला संगठन और अन्य पदों से जुड़े भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ एक वर्चुअल बैठक कर उनमें उत्साह जगाने की कोशिश की. श्री मुंडा ने उन्हें कोरोनाकाल में मास्क, सेनिटाइजर के अलावा एक हजार कोरोना कीट उपलब्ध कराने की बात करते हुए कहा कि वे जरुरतमंद लोगों के बीच इसका वितरण करें और इसी बहाने जनसंपर्क बढ़ाएं. निराश नहीं होने की सलाह देते हुए श्री मुंडा ने कहा कि संगठन को गतिशील करने और समन्वय के साथ पहले की तरह प्रभावी बनाने के लिये हरसंभव उपाय होंगे. विदित हो कि बैठक में एक पदाधिकारी ने जिला संगठन प्रभारी के पिछले एक वर्ष के दौरान कभी चाईबासा नहीं आने का भी मुद्दा उठाया. इस पदाधिकारी ने किसी उत्साही कुशल संगठनकर्ता को संगठन प्रभारी बनाने का सुझाव दिया. लक्ष्मण गिलुआ के निधन के बाद शून्य पड़े नेतृत्व तलाशने का भी सुझाव देते हुए सब ने श्री मुंडा से अनुरोध किया कि वे इन बिंदुओं पर गंभीरता से ध्यान दें. सबने एक स्वर से कहा कि श्री मुंडा उनके नेता हैं और नेता के समक्ष हम अपनी बातें अंदरुनी तौर पर रख रहे हैं. इस वर्चुअल बैठक में पूर्व विधायक गुरुचरण नायक, जिलाध्यक्ष विपिन पूर्ति, पुतकर हेंब्रम, जेबी तुबिद, गीता बलमुचू, जिला महामंत्री प्रताप कटियार, मीडिया प्रभारी समेत 23 मंडलों के अध्यक्ष शामिल हुए. बैठक के प्रारंभ में स्व. गिलुआ को श्रद्धांजलि अर्पित की गई. बैठक का को-ऑर्डिनेशन पूर्व चुनाव प्रभारी शैलेन्द्र सिंह ने किया.
चुनाव में हार के बाद भाजपा कोल्हान में बिल्कुल हाशिये पर चली गई. कोविड काल में भी संगठन की ओर से बीमारी के शिकार इलाज के लिये तड़प और भाग-दौड़ कर रहे आम लोगों की मदद में कोई गतिविधि देखने को नहीं मिली. कोरोना का डर संगठन को पूरी तरह जमींदोज किये हुए दिखा. जबकि फ्रंटलाइन वर्कर के रुप में अनेक संगठन, सिख समाज कोरोना संक्रमण का जोखिम का उठाते हुए लोगों की सेवा में जहां-तहां सामने दिखाई पड़े. कोल्हान का कोई प्रभारी है भी कि नहीं, लोग भूल गये. भाजपा के लोग पिछली हार और मुख्यमंत्री को नकारे जाने के सदमे से उबर नहीं पाए लगते हैं. रही-सही कसर कुछ सक्रिय संगठकों को पार्टी से निकाल-बाहर का रास्ता दिखकर पूरा कर दिया गया है.

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