। कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लगवाने वाले लोगों को कोरोना के नए स्ट्रैन ने भी कम नुकसान पहुंचाया है। मध्य प्रदेश के इंदौर स्थित अरबिंदो अस्पताल में चेस्ट स्कैन कराने वाले 75 मरीजों के अध्ययन में यह सामने आया है। इसमें निष्कर्ष निकला कि जिन लोगों ने टीके की दोनों डोज लगवा ली थीं, वे संक्रमित तो हुए लेकिन उनके लिए कोरोना जानलेवा साबित नहीं हुआ।
उनके फेफड़े 25 प्रतिशत से कम संक्रमित हुए। फेफड़ों के संक्रमण से मुक्त होने में भी उन्हें अपेक्षाकृत कम समय लगा। 75 में से नौ मरीजों में ही ब्लैक फंगस के लक्षण मिले। वहीं जिन्होंने वैक्सीन की एक भी डोज नहीं ली थी, उनमें ब्लैक फंगस के लक्षण ज्यादा मिले। अर्थात वैक्सीन से ब्लैक फंगस का खतरा भी कम है।
चेस्ट स्कैन कराने वाले 75 मरीजों पर किया अध्ययन, जरूरी हैं दोनों डोज
अरबिंदो अस्पताल में भर्ती 75 मरीजों पर किए गए अध्ययन में 30 फीसद मरीजों में कोरोना का संक्रमण कम पाया गया। भर्ती होते समय इन मरीजों से टीका लगवाने की जानकारी भी अस्पताल प्रबंधन ने जुटाई थी। इन मरीजों ने टीके की दोनों डोज लगवाई थीं। इनमें से ज्यादातर को आक्सीजन की जरूरत ही नहीं पड़ी और शरीर में कोरोना संक्रमण भी लंबे समय तक नहीं रहा। जिन लोगों को दोनों डोज लगी हैं, उनमें ब्लैक फंगस होने की आशंका भी कम है।