जमशेदपुर : 111 सेव लाइफ अस्पताल के विषय में विधायक सरयू राय ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि सरकार जांच कराने के चक्कर में अस्पताल को बंद न कर दें. मेडिका की तरह इसे बंद नहीं कराएं. अस्पताल प्रबंधन की ओर से संचालक ने अपनी कृत्य पर माफी मांग ली है अगर स्वास्थ्य मंत्री उसे माफी योग्य नहीं समझते हैं तो अपशब्द व्यक्त करने के लिये कानून की प्रासंगिक धाराओं में उसपर मुकदमा दर्ज कराते.
विधायक ने कहा है कि अस्पताल की व्यवस्थाओं की क्लीनिकल जांच होनी चाहिये, न कि प्रशासनिक जांच. यह जांच अब धीरे-धीरे अपराधिक दंड विधान की कार्रवाई की ओर बढ़ती प्रतीत हो रही है, जिसका प्रतिकूल प्रभाव सरकार की छवि पर पड़ रहा है. विधायक ने कहा कि 27 अप्रैल, 2018 को तत्कालीन सरकार के ‘मोमेंटम झारखंडÓ में देवघर में हुए ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट के दौरान इस अस्पताल का शिलान्यास हुआ था और कहा गया था कि यह अस्पताल एक रोल मॉडल होगा. लेकिन आज यह रोल मॉडल बिखर रहा है. इसे रोल मॉडल बनाने की घोषणा करनेवालों को पता नहीं कि यह रोल मॉडल आज किस स्थिति में पहुंच गया है. वे लोग अपने रोल मॉडल के बचाव से कतरा रहे हैं. विधायक ने कहा कि सरकार जमशेदपुर और आदित्यपुर के अन्य अस्पतालों की भी गहन जांच कराएं लेकिन सेव लाइफ अस्पताल को चलने देें, मेडिका की तरह इसे बंद नहीं कराएं. मेडिट्रिना अस्पताल में भी इसी प्रकार की जांच हुई है, उसे भी बताये जाए कि क्या खामियां निकली. विधायक ने सुझाव दिया है कि सरकार विशेषज्ञों के परामर्श पर राज्य के निजी अस्पतालों के संचालन व प्रबंदन के लिये एक मार्गदर्शिका बनाएं, जिसका अनुपालन में कोताही साबित होने पर कार्रवाई करे. कोरोनाकाल में कतिपय निजी अस्पतालों के संचालन संस्कृति के बारे में काफी शिकायतें मिल रही है. ध्यान रखा जाए कि इस प्रक्रिया में अस्पतालों का संचालन व प्रबंधन में सुधार हो न कि अस्पतालों के बंद होने की नौबत आए.