नई दिल्ली
वैक्सीन की किल्लत को लेकर केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने अपनी ही सरकार को सलाह दी है। उन्होंने कहा कि सरकार एक की बजाय 10 कंपनियों को वैक्सीन बनाने की इजाजत दे। गडकरी मंगलवार को विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर रहे थे। इसी दौरान उन्होंने ये सुझाव दिया।
गडकरी ने कहा- अगर सप्लाई से ज्यादा वैक्सीन की मांग रहेगी तो मुश्किल आनी ही है। एक कंपनी के बजाय सरकार को 10 कंपनियों को वैक्सीन प्रोडक्शन की मंजूरी देनी चाहिए। इन्हें देश में सप्लाई करने दीजिए और फिर जब हमारे पास सरप्लस वैक्सीन हो जाएगी तो ये कंपनियां फिर विदेशों में एक्सपोर्ट करेंगी। ये काम 10-15 दिनों में कर लेना चाहिए।
गडकरी ने सलाह के बाद सफाई दी
गडकरी ने कहा कि जब मैं कल ये बातें कह रहा था तो मुझे ये नहीं पता था कि कैमिकल एंड फर्टिलाइजर मिनिस्टर मनसुख मंडाविया ने पहले ही वैक्सीन प्रोडक्शन बढ़ाने को लेकर सरकार के प्रयासों के बारे में जानकारी दे दी थी। उन्होंने मुझे भी बताया कि सरकार 12 अलग-अलग प्लांट और कंपनियों में वैक्सीन बना रही है। मैंने उन्हें बधाई दी और कहा कि आपकी टीम सही दिशा में काम कर रही है।
मेडिकल ऑक्सीजन के मामले में आत्मनिर्भरता जरूरी : गडकरी
गडकरी ने कहा कि भारत को अभी भी दवाओं के लिए कच्चा माल विदेशों से मंगाना पड़ता है। हम आत्मनिर्भर भारत बनाना चाहते हैं। भारत के सभी जिले मेडिकल ऑक्सीजन के मामले में आत्मनिर्भर होने चाहिए। उन्होंने कहा कि देश का स्वास्थ्य क्षेत्र इस समय गहरे संकट से गुजर रहा है। महामारी के दौरान हमें पॉजिटिव रहते हुए मनोबल मजबूत रखना होगा।
कांग्रेस का तंज
गडकरी के सुझाव पर कांग्रेस ने पलटवार किया। पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने बिना नाम लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि क्या उनके बॉस यह सुन रहे हैं? 8 अप्रैल को पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने भी ऐसा ही सुझाव दिया था।
केजरीवाल ने भी ऐसा ही सुझाव दिया था
इससे पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी हाल ही में इस संबंध में PM को चिट्ठी लिखी थी। उन्होंने कहा था कि केंद्र को वैक्सीन बनाने वाली दोनों कंपनियों का फॉर्मूला अन्य दवा निर्माता कंपनियों को देना चाहिए ताकि वैक्सीन का उत्पादन बढ़ाया जा सके। वर्तमान में देश में कोरोना वैक्सीन का प्रोडक्शन दो कंपनियां कर रही हैं। पहली भारत बायोटेक (कोवैक्सिन) और दूसरी सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया (कोवीशील्ड)।