DRDO की एंटी-कोविड दवा ‘2 डीजी’ एक-दो दिन में मरीजों को मिलनी होगी शुरू, 10 हजार डोज़ बनकर तैयार

नई दिल्ली: कोरोना महामारी से लड़ने के लिए डीआरडीओ की एंटी-कोविड मेडिसन, 2 डीजी अगले एक-दो दिनों में मरीजों को मिलनी शुरू हो जाएगी. सूत्रों के मुताबिक, हैदराबाद की डॉक्टर रेड्डीज़ लैब में 10 हजार डोज़ बनकर तैयार हो गई हैं और अगले एक-दो दिनों में डीआरडीओ के अस्पतालों में उपलब्ध भी हो जाएंगी.
मिली जानकारी के मुताबिक, इन 10 हजार डोज़ के बाद डीआरडीओ के कहने पर डॉक्टर रेड्डीज़ लैब जून के महीने से हर हफ्ते एक लाख डोज़ बनना शुरू कर देगी. इसके बाद पानी में घोलकर पिलाने वाली ये दवाई जल्द ही दूसरे अस्पतालों में भी उपलब्ध हो सकती है.
आपको बता दें कि कोरोना महामारी के बीच पिछले हफ्ते डीआरडीओ ने एक बड़ी राहत की खबर दी थी. डीआरडीओ ने एंटी-कोविड दवाई बनाने का दावा किया था. डीआरडीओ का दावा है कि ग्लूकोज़ पर आधारित इस दवाई के सेवन से कोरोना से ग्रस्त मरीजों को ऑक्सजीन पर ज्यादा निर्भर नहीं होना पड़ेगा और जल्दी स्वस्थ हो जाएंगे. डीआरडीओ ने एंटी-कोविड मेडिसन ‘2-डिओक्सी-डी-ग्लूकोज़’ (2डीजी) को डाक्टर रेड्डी लैब के साथ मिलकर तैयार किया है और क्लीनिकल-ट्रायल के बाद ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने इस दवाई को इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए हरी झंडी दे दी है.

डीआरडीओ की दिल्ली स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन ऐंड एलाइड साइंसेज (इनमास) ने हैदराबाद की रेड्डी लैब के साथ मिलकर इस दवाई को तैयार किया है. डीआरडीओ का दावा है कि क्लीनिक्ल-ट्रायल के दौरान ये पाया गया कि जिन कोविड-मरीजों को ये दवाई दी गई थी, उनकी आरटीपीसीआर रिपोर्ट जल्द नेगेटिव आई है.

डीआरडीओ की इस दवाई को लेकर खुद रक्षा मंत्रालय ने आधिकारिक तौर से जानकारी देते हुए बताया था कि ये एक जैनेरिक मोल्कियूल है और ग्लूकोज का एक ऐनोलोग है, इसलिए ये भरपूर मात्रा में मार्केट में उपलब्ध है. ये एक सैशे में पाउडर फॉर्म में मिलती है और पानी में घोलकर पी जा सकती है.

अप्रैल 2020 से इस दवाई पर चल रहा काम
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, पिछले साल यानि अप्रैल 2020 से इस दवाई पर काम चल रहा था. क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल ही डीआरडीओ यानी डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाईजेशन को कोरोना के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार रहने का आदेश दिया था. इसके बाद डीआरडीओ ने खुद इस 2डीजी दवाई का थेरेपियेटिक इस्तेमाल किया और लैब में इस पर परीक्षण किया. ये परीक्षण हैदाराबाद की सेंटर फॉर सेल्यूलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) के साथ किए गए थे और इसमें पाया गया कि सार्स-कोविड-2 वायरस के खिलाफ ये सही काम करता है और वायरल-ग्रोथ को रोकने में कामयाब है. इन परिणामों के बाद डीसीजीआई यानि ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने इस दवाई के फेज-2 क्लीनिकल ट्रायल की इजाजत दी.

Share this News...