चांडिल : झारखंड के सरायकेला खरसावां जिला व पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिला के हजारों कलाकारों का छऊ नृत्य आजीविका का साधन था, लोगों को मनोरंजन करने का अवसर था। लेकिन कोरोना ने कलाकारों से रोजगार व मनोरंजन का अवसर छीन लिया।
यहां कई नृत्य शैलियां प्रचलित है लेकिन मानभूम शैली छऊ नृत्य काफी लोकप्रिय माना जाता है। जिसका प्रदर्शन भारत से विदेशों तक, गांव के गलियारों से हिंदी, बंगला व दक्षिण भारतीय सिनेमा तक हो रहा था। इस नृत्य शैली के हजारों कलाकारों ने अपने कला का प्रदर्शन कर आर्थिक रोजगार करते थे और लोगों का मनोरंजन भी करते थे। लेकिन कोरोना महामारी आया और देखते ही देखते हजारों से अधिक कलाकार बेरोजगारी के दरिया में डूबने लगा। अंतराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त कलाकार सह छऊ नृत्य प्रशिक्षक उस्ताद अधर कुमार कहते हैं कि अब तो हम कलाकारों का जीवन भी नीरस बनने लगा है। उन्होंने कहा कि प्रति वर्ष मई से अगस्त माह तक उनके टीम यूरोप व एशिया महादेश के दर्जनों देशों में छऊ नृत्य का प्रदर्शन कर व वहां के स्थानीय कलाकारों को प्रशिक्षण देकर देश का नाम रौशन करते थे और साथ ही कलाकारों का आर्थिक रोजगार भी होता था। कोरोना महामारी ने हमारे कला को हमसे वेवफा बना दिया।