??वैश्विक संकट कोरोना और मेडिकल साइंस ??-
2021जनवरी से डॉक्टरों, पारामेडिक्स को वैक्सिनेशन शुरू हो गया । साठ बर्ष ओर फिर 45 बर्ष से अधिक उम्र के लोगों को वैैक्सीन मिल रहे हैं। कोरोना संक्रमण कम हो गया , तो ज्यादा जनता ढीली पड़ गयी । खूब मिलना जुलना, मास्क नही पहनना , जैसी जीवन शैली शुरू कर दीं। सावधानी जैसी बातें कहने पर हल्के से ले रहे हैं। और फिर इसके भयंकर परिणाम से अनभिज्ञ।
फरवरी/मार्च 2021-सब सुन रहे हैं, कि यूके का नया स्ट्रेन कोरोना बहुत शातिर है ।लोग संक्रमित हो रहे हैं । भारत में लोग सोच रहे हैं, कि हमारे देश में ना आएगा। पर यह तो आ गया है। कोरोना वायरस बहुत तेजी से अपनी प्रकृति बदलने में सक्षम है, रूप बदलता है।अभी का कोरोना डबल वैरियेंट है , और अब ट्रीपल भैरियेंट भी आ गया है।
पिछले बर्ष से ज्यादा इतनी भयंकर स्थिति ।
अप्रैल 2021 में कोरोना के दूसरे चरण ने पिछले वर्ष से बहुत अधिक हमारे भारत में तहलका मचा दिया है, बहुत तेजी से संक्रमण फैल रहा है, रोज इससे संक्रमण और कहीं किसी करीबी के असमय मृत्यु की दुखद खबर सुन हृदय आहत है। हृदय विदारक स्थिति है। हॉस्पीटलों का हाल बुरा है। हम डॉक्टर और पारामेडिक भी कितने कहाँ सुरक्षित हैं । वैक्सीन लेने के कारण भयंकर स्थिति से कुछ सीमा तक बचे हैं, पर पूर्ण स्वस्थ नही होते हुए भी मानव जाति की रक्षा में तत्पर हैं। और आक्सीजन की कमी, काला बाजारी ,जान बचाने की दवाइयों का भी यही हाल है। हमारा भारत जूझ रहा है, अति दयनीय स्थिति है। हम सबको को अति हिम्मत, धैर्य की आवश्यकता है।अब बच्चे युवा सभी संक्रमित हो रहे हैं।
हम सबों को यह सबसे पहले समझना चाहिए, कि नया स्ट्रेन बहुत ही खतरनाक है, इसे, यू के, ब्राजील, इटली, भारत का पिछले वर्ष का रेकार्ड ही तोड़ दिया है। कोरोना में बार बार अपना रुप व्यवहार बदलने की क्षमता है। और भी नया वैरियेंट आ सकता है। इसको मनुष्य के शरीर में पूरी तरह खतम करने की कोई दवा नही आया है। जिसके शरीर में प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा है, वह बचता है।जो संक्रमित होकर ठीक हो जाते हैं, उनमें कोरोना से बचने की प्रतिरोधक क्षमता रहती है, पर कितने दिन/ माह अभी पूरी जानकारी नही है।
कोरोना शरीर में इम्यूनिटी कम वाले और असुरक्षित व्यक्ति को ढूँढ़ता है, और संक्रमित कर रहा है।
यह सभी को समझना चाहिए कि, कोरोना को मारने की दवा अभी तक नही आई है, इसलिए बचाव के लिए वैैक्सीन अवश्य लें। वक्सीन से 80 प्रतिशत बचाव है, यानि आप संक्रमित होने से बच पायेंगें, यदि बचाव के नियमों का सही पालन करेंगे। और जो 20 प्रतिशत संक्रमण का डर भी है, पर आपकी हालत इतनी खराब नही होगी कि प्रभावितों को भेंटिलेटर पर रहना पड़े।
असावधानी रहने पर कोरोना 5 दिन से 15 दिन संक्रमण करने का समय लेता है।
??पुराने कोविड में
बुखार, सुगंध और स्वाद की कमी,सुखी खाँसी, बुखार, स्वाँस प्रणाली में स्वाँस लेने में परेशानी
??नये कोविड संक्रमण में
बदन में दर्द
आँखों में कंजंक्टीभाइटीस
गले में खराश
अपच, दस्त,पेट दर्द
बहती नाक
हाथ पैरों की उँगलियों में
फीकापन का रंग
पाँव तलवे में जलन
सर दर्द
बदन पहल दाने
छाती दर्द
स्वाँस लेने में तकलीफ
चलने में तकलीफ
बोली का बंद होना
आदि..में कुछ भी हो सकते हैं।
??पुराने और नये कोविड दोनों में
बीमार सा लगना /
स्वाँस लेने मे तकलीफ/
दस्त होना/
पेट में दर्द / आदि कुछ भी हो सकता है।
पर किसी किसी में बुखार बिना खाँसी हो सकता है ,या हल्के बुखार के साथ खाँसी हो सकती है।
हल्के या मध्यम कोविड में गले में खराश, हल्का बुखार, खाँसी, उल्टी भाव, माँसपेशियों में दर्द, दस्त ,पेट दर्द, स्वाद और महक का अनुभव ना होना है।
47 प्रतिशत मरीज होम आइसोलेशन में(अलग कमरा और शौचालय) में सही इलाज और धैर्य से ठीक हो जाते हैं। इससे निकलने में 2 से 4 सप्ताह लगता है।
जबतक स्वाँस लेने में परेशानी ना हो घर में ही रहकर इलाज हो सकता है। जिन्हें पहले से बड़ी बीमारियों हैं, उन्हें आक्सीजन, पल्स रेट याने नाड़ी की गिनती , स्वाँस लेने की क्रिया और उसकी गिनती पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
बीच बीच में पेट के बल लेटने, चेहरे को भी नीचे कर स्वाँस लेने से शरीर में आक्सीजन फ्लो बढ़ता है,पर छाती में बड़ी सर्जरी या बड़ी बीमारियों वालों को नही करना चाहिए।
??ज्यादातर लोगों मे जो कोविड ग्रसित होते हैं ,स्वाँस प्रणाली की तकलीफ से ही शुरू होता है। उन्हें तबीयत कुछ ठीक नही लगती है। हल्का या तेज बुखार,थोडी़ खाँसी, गले में खराश, छींक होता है। किसी किसी को पेट की शिकायत, और किसी में महक और स्वाद का अनुभव ना होना।
माइल्ड कोविड में बुखार कुछ दिन में ठीक हो जाता है, और तबीयत ठीक लगती है। इसमें 10 से 15 दिनों तक सेल्फ आइसोलेशन करना चाहिए।
खाँसी ज्यादा रहने, महक स्वाद की परेशानी में भी सेल्फ आइसोलेशन करना चाहिए।
सीभियर यानें गहन कोविड इंफेक्सन में 7 से 10 दिनों में स्वाँस ज्यादा फूलना होता है, क्योंकि फेफड़ा संक्रमित हुआ रहता है। फेफड़े में सुजन इंफेक्सन से आक्सीजन ठीक से नही जाता है।
फिर कॉन्फयुजन याने असमंजस की स्थिति होती है, क्योंकि मस्तिष्क को आक्सीजन नही मिलता है।
फेफड़े के संक्रमित होने पर इलाज से ठीक होने पर 3 माह लगता है,क्योंकि फेफड़े में दाग पड़ जाता है।
इसलिए कोविड होने के पहले या बाद में ठीक होने पर आक्सीजन का लेवल बढ़ाने के लिए फेफड़े की ताकत बढ़ाने के लिए, स्वाँस क्रिया का कसरत करना चाहिए। शरीर में आयरन बढ़ाने के लिए सही खान पान और उचित मात्रा का जल का सेवन भी करना चाहिए ।
इसलिए सबसे आग्रह है, कि कोविड बचाव के सारे नियमों को पालन करें, खान पान सही रखें, स्वाँस क्रिया और शरीर के लिए व्यायाम करें।
और विशेष बात यह है, उपर लिखे किसी भी तरह की तकलीफ पर विचार कर शीघ्र ही अपने डॉक्टर ,हॉस्पीटल, स्वास्थ केंद्रों को संपर्क करें। बीमारी छुपाये नहीं। जितना जल्दी इलाज शुरू होगा ,तो जन भयंकर स्थिति से बचेंगें, उनकी जिंदगी बचेगी।