जमशेदपुर : हर तरफ उदासी का गुबार, बेबस आंखे और मौत का मंजर। लेकिन संकट की इस घड़ी में एक गुड न्यूज आ रही है। टाटा समूह ने 24 आक्सीजन कंटेनर का जो ऑर्डर दिया था, उसकी पहली खेप भारत पहुंच चुकी है। पहली खेप में चार आक्सीजन कंटेनर भारत की धरती पर उतरा है। टाटा समूह ने अपने आधिकारिक ट्वीटर हैंडल में यह जानकारी देते हुए कहा, हम जीओएल, भारतीय वायुसेना व लिंडे इंडिया का आभारी हैं, जिनके सहयोग के बिना यह संभव नहीं हो पाता।
जर्मनी की कंपनी लिंडे के सहयोग से टाटा ग्रुप जर्मनी से 24 आक्सीजन टैंकर एयरलिफ्ट करा रही है, ताकि देश में आक्सीजन की कमी को पूरा किया जा सके। लिंडे का
आक्सीजन प्लांट जमशेदपुर के बर्मामाइंस व साकची में है, जो टाटा स्टील को इंडस्ट्रियल आक्सीजन सप्लाई करती है। लिंडे की अधिकतम उत्पादन क्षमता 5000 टन है।
भारत में जर्मन दूतावास ने शनिवार को ट्वीटर हैंडल पर जानकारी देते हुए कहा कि निजी जर्मन कंपनी लिंडे ने टाटा के साथ मिलकर 24 आक्सीजन टैंकर एयरलिफ्ट करा रहा है। यह टैंकर उत्पादन स्थल से आक्सीजन लेकर कोविड हाट स्पॉट तक पहुंचाएगी। 21 अप्रैल को इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्मों पर टाटा समूह ने कहा कि यह कोविड -19 के खिलाफ लड़ाई में ऑक्सीजन संकट को कम करने के लिए प्रतिबद्ध है। समूह के अधिकारियों ने कहा कि एक कोविड के खिलाफ लड़ाई में विशेष
टास्क फोर्स काम कर रही है, जो संसाधनों की व्यवस्था करने से लेकर चिकित्सा आवश्यकताओं और अनुरोधों को पूरा कर रहा है। टाटा समूह क्वारंटाइन केंद्र व अस्पताल में बिस्तर उपलब्ध कराने में अग्रणी भूमिका निभा रही है।
केंद्र सरकार ने भारतीय वायु सेना को जर्मनी से ऑक्सीजन कंटेनरों और उपकरणों को एयरलिफ्ट करने का काम सौंपा है। जीवन रक्षक सामग्री को ले जाने के लिए कंटेनरों की भारी कमी के कारण भारत को ऑक्सीजन परिवहन का सामना करना पड़ रहा है। सरकार सभी हितधारकों के साथ बातचीत कर रही है। कोरोना की दूसरी लहर में भारतीय वायु सेना आक्सीजन सिलिंडर, रेगुलेटर के अलावा आवश्यक दवा एक जगह से दूसरी जगह पहुंचा रही है। इस हफ्ते की शुरुआत में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सभी रक्षा प्रतिष्ठानों को कोरोना संक्रमितों के लिए अस्पताल स्थापित करने, आपातकालीन शक्तियों का उपयोग करने और संकट से निपटने के लिए सेवानिवृत्त कर्मियों को लाने का निर्देश दिया है।