Chandil, 24 April : नीमडीह के बामनी गांव में कल हुआ पुलिस बनाम ग्रामीण संघर्ष जितना अप्रिय था अब उससे अधिक अप्रिय हो रहा है हुडदंगियो पर कार्रवाई का अंदाज़। झड़प के मामले में एक ही डंडे से हांकने जैसी कार्रवाई पर पुलिस और स्थानीय प्रशासन सवालों के घेरे में आ गया हैं। वरीय अधिकारियों को समय रहते हस्तक्षेप करने की जरूरत महसूस की जा रही है। पहले तो सुरक्षा सप्ताह की घोषणा के बीच धार्मिक कार्यक्रम शुरू होने से नहीं रोका गया और जब कल उसके समापन का दिन था तब उसको बंद कराने के लिए अपरिपक्व ढंग से लाठियां बरसा कर संघर्ष को निमंत्रण दिया गया। अब एक्शन के नाम पर मनमाने तरीके से जिस- तिस पर मुकदमा कायम कर दिया गया । इसके चलते ग्रामीण डरे सहमे हुए हैं, गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है। दूसरी ओर अब तक पुलिस को सहयोग कर नक्सलियों को खदेड़ने वाली दलमा आंचलिक सुरक्षा समिति बगावती सुर में आ गयी है। शनिवार को समिति के अध्यक्ष एवं नीमडीह प्रखंड के प्रमुख असित सिंह पातर ने कहा कि पुलिस की ओर से पहले ग्रामीणों पर लाठियां बरसाई गई, जिसके कारण झड़प हुई। पातर ने अपने हाथ पर लगी चोट के निशान को भी दिखाया और बताया कि हिरासत में लेकर पुलिस ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया, हालांकि देर रात उन्हें छोड़ दिया गया।
समिति के पदाधिकारियों ने पुलिसिया कार्रवाई की निंदा की। शुक्रवार को समिति के सक्रिय सदस्य बामनी गांव आये और घटना की जानकारी ली। ग्रामीणों ने बताया कि पुलिस ने बिना जांच के ही ग्रामीणों को हिरासत में लेकर जेल भेज दिया है। हिरासत में लिए गए लोगों में कुछ बाहर से आये मेहमान हैं जो चड़क पूजा में रिश्तेदारी में आए थे। शुक्रवार को झड़प की घटना के बाद देर रात को पुलिस ने बयान जारी किया था कि आजसू नेता हरेलाल महतो समेत 40 नामजद आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। लेकिन शनिवार को एफआईआर कॉपी में 41 नामजद आरोपी दर्शाया गया है और 20 – 25 अज्ञात आरोपियों का जिक्र किया गया है। नीमडीह के बीडीओ के बयान पर झड़प करने वाले ग्रामीणों के साथ साथ आजसू के हरेलाल महतो पर भी एक ही धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। पुलिस की ओर से बताया गया था कि झड़प के एक दिन पहले हरेलाल महतो ने बतौर अतिथि चड़क मेला में शामिल होकर उदघाटन किया था। बीडीओ ने जो बयान दिया है वह बिल्कुल अलग है जिन्होंने बताया था कि मेला में भीड़ हटाने के लिए जब उन्होंने अपील की तब बुलबुल पातर (मुख्य आरोपी) ने कहा था कि यह मेला हरेलाल महतो के कहने पर लगाया गया है और उनके कहने पर ही बंद होगा। इन सभी तथ्यों को लेकर गहन जांच करने की जरूरत है। 21 अप्रैल को ही गांव में तीन दिवसीय चड़क पूजा/मेला शुरू हुआ था जो 23 को संपन्न हुआ । 22 अप्रैल से ही स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह शुरू हो गया था। नियमतः बी डी ओ को 22 अप्रैल को ही मेला बंद कराना चाहिए था। चड़क पूजा झारखंड के आदिवासी व मूलवासी समुदाय द्वारा मनाए जाने वाला धार्मिक व सांस्कृतिक आस्था का त्यौहार है। जनभावनाओं का आदर करते हुए शांति समिति के सदस्यों, प्रबुद्ध नागरिकों, पंचायत के जनप्रतिनिधि से सहयोग लेकर प्रशासन गाइड लाइन का पालन करवा सकता था । झड़प और उसके बाद हुई पुलिसिया कार्रवाई के बाद सामाजिक माहौल में बिखराव देखने को मिल रहा हैं। वर्षों की मेहनत के फलस्वरूप दलमा के घोर नक्सल प्रभावित इलाकों में पुलिस और ग्रामीणों में एकता की दीवार खड़ी हुई हैं, जिसमें दरार पैदा होने से रोकने के लिए बड़े अधिकारियों को तत्काल पहल करनी चाहिए, अन्यथा इस घटना की आड़ में असामाजिक तत्व लाभ उठा सकते हैं और पुनः क्षेत्र में अशांति फैलाने के लिए पांव पसार सकते हैं।
आजसू पार्टी केंद्रीय सचिव व विधान सभा प्रत्याशी ने इस मामले में राजनीतिक निशाना साधते हुए विधायक सविता महतो पर प्रशासन को दिग्भ्रमित करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा साजिश के तहत मुझे फंसाने के लिए विधायक अपने पद का दरुपयोग कर रही हैं। चड़क पूजा हमारी पारंपरिक पूजा है। आयोजकों की ओर से आमंत्रित किया गया था। घटना के एक दिन पहले बामनी गांव में चड़क पूजा में आशीर्वाद लेने गया था, वहां कोविड नियमों का पालन कर पूजा स्थल पर प्रार्थना की और वहां से चले गए थे लेकिन अगले दिन हुई घटना में पुलिस ने मेरे ऊपर एफआईआर कैसे दर्ज किया ? बामनी में हुई घटना निंदनीय एवं दुखद है। प्रशासन से आग्रह है कि उक्त घटना की निष्पक्ष जांच करे।तब तक किसी भी निर्दोष को प्रताड़ित न करें। गांव में पुनः शांति बहाल हो और पुलिस पर विश्वास बना रहे इसके लिए प्रशासन को पहल करनी चाहिए। बी डी ओ को कल जल्दबाज़ी में लाठी प्रहार का आदेश नहीं देना चाहिए था। अगर किसी ने उन्हें कहा कि मेरे कहने पर मेला समाप्त होगा तब एक बार कम से कम उन्हें मुझसे फ़ोन पर ही पूछ लेना चाहिए था। यह लोकतंत्र है अधिनायक तंत्र नही। बी डी ओ मेरे संज्ञान में मामला लाते तो इससे उनका कद और बढ़ता ही।