हर साल बड़े पैमाने पर होता है हिरण, खरगोश, तीतर, सुअर का शिकार
Chandil,15 April : दलमा बुरु सेंदरा दिशुआ समिति ने 24 मई को दलमा के बीहड़ जंगलों में शिकार करने का ऐलान कर दिया है। हर साल आदिवासी समुदाय द्वारा मनाए जाने वाली इस दिशुआ सेंदरा (शिकार) में हिरण, खरगोश, तीतर, सुअर, मुर्गा आदि जंगली जानवरों का शिकार किया जाता है, जबकि वन विभाग दावा करता हैं कि किसी तरह का शिकार नहीं होता है, केवल परंपरा और औपचारिकता पूरी की जाती हैं।
बुधवार को चांडिल प्रखंड के आसनबनी के टोला जामडीह में दलमा बुरु सेंदरा दिशुआ समिति की बैठक हुई। बैठक की अध्यक्षता फकीर चन्द्र सोरेन ने की। इस दौरान निर्णय लिया गया कि आगामी 23 मई को आसनबनी के जामडीह स्थित पूजा स्थल पर सेंदरा (शिकार) पूजा होगी। 24 मई को कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए दलमा पहाड़ में परम्परागत शिकार किया जाएगा। फकीर चन्द्र सोरेन ने बताया कि आदिवासी समुदाय द्वारा मनाए जाने वाली दिशुआ सेंदरा में सभी आदिवासी पुरुष पारंपरिक हथियारों के साथ दलमा पहाड़ में 24 मई को शिकार करेंगे। उन्होंने बताया कि इस बार कोरोना महामारी का प्रकोप होने के कारण शिकार करने वाले लोगों से भीड़ से परहेज करने की अपील की जाएगी। श्री सोरेन ने बताया कि 14 अप्रैल को संक्रांति के अवसर पर दलमा बुरु, मारांग बुरु समेत सभी देवी देवताओं को शिकार पूजा के लिए गीरा (आमंत्रण) दिया गया। बैठक के दौरान समिति का पुनर्गठन किया गया। जानकारी हो कि दलमा बुरु सेंदरा दिशुआ समिति के अध्यक्ष भोलानाथ सोरेन का पिछले दिनों निधन हो जाने के कारण पद रिक्त था। भोलानाथ सोरेन के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए एक मिनट का मौन रखा गया और समिति का पुनर्गठन किया गया जिसमें फकीर चन्द्र सोरेन को अध्यक्ष, गुरुचरण सिंह को उपाध्यक्ष, मानसिंह मार्डी को कार्यकारी अध्यक्ष, सत्यनारायण मुर्मू को सचिव, रुपाई माझी को सह सचिव, सुकलाल पहाड़िया मार्गदर्शक की जिम्मेदारी सौंपी गई। मनसा राम माझी, मनोहर बेसरा, धनंजय पहाड़िया, देवेन्द्र कर्मकार को कार्यकारी समिति का सदस्य बनाया गया। इस मौके पर अमित बेसरा, मनसाराम माझी, विनोद जोहार, मंगल माझी, घासीराम मुर्मू, सेतु पहाड़िया आदि मौजूद थे।