डा. नागेेन्द्र गरीबों का नि:शुल्क इलाज करने के बाद घर भी पहुंचाते हैं, महिला समेत तीन गंभीर मरीजों की बचायी जान, गरीबों के लिए गंगा मेमोरियल हॉस्पिटल वरदान


जमशेदपुर, 6 अप्रैल : गंगा मेमोरियल हॉस्पिटल के संचालक डा. नागेन्द्र सिंह गरीबों का इलाज कर मिसाल कायम कर रहे हैं. वे न तो गरीबों का नि:शुल्क इलाज ही करते हैं बल्कि मरीजों का उनके घर भी पहुंचाने का काम कर रहे हैं. जिले के गरीब मरीजों की उनपर एक विश्वास जम गया है. उन्होंने न सिर्फ मरीजों का इलाज ही किया बल्कि तीन गंभीर मरीजों की जान भी बचा चुके हैं.
गंगा मेमोरियल हॉस्पिटल के संचालक डा. नागेन्द्र सिंह हाल ही में तीन मरीजों का मुफ्त सर्जरी कर उनकी जान बचायी है. अब स्वस्थ हो चुके हैं. उन्हें अस्पताल से छुट्टी दी जा रही है. ये तीनों मरीज आर्थिक रूप से काफी कमजोर थे. उनके पास अस्पताल आने तक की राशि नहीं थी। ऐसी परिस्थिति में डॉ. नागेंद्र सिंह उनके लिए भगवान बनकर सामने आए. उन्हें न सिर्फ अस्पताल में भर्ती कराया बल्कि मुफ्त में सर्जरी भी किया और अब फिर से उन्हें घर पहुंचाने की तैयारी है, इसमें से दो मरीजों के पास आयुष्मान कार्ड था लेकिन उनकी बीमारी इस योजना के तहत दर्ज नहीं है, जिसके कारण योजना का लाभ उन्हें नहीं मिल पा रही थी. वहीं एक मरीज के पास आयुष्मान कार्ड नहीं था। डॉ. नागेंद्र सिंह अबतक 14 हजार से अधिक मुफ्त में सर्जरी कर चुके हैं.
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बच्चेदानी में इंफेक्शन से हो रहा था रक्तस्त्राव
गालूडीह की 45 वर्षीय चंदना महतो की बच्चेदानी में इंफेक्शन होने की वजह से वह हिस्टेरेक्टॉमी रोग से ग्रस्त हो गई थी. बार-बार रक्तस्राव होने की वजह से वह शारीरिक रूप से काफी कमजोर हो गई थी. उसके पास इलाज कराने को पैसा भी नहीं था. एक-दो जगह गई तो 50-60 हजार रुपये खर्च बताया गया. आयुष्मान कार्ड बना हुआ है लेकिन योजना में यह बीमारी ही शामिल नहीं है. जिसके कारण वे घर में ही पड़ी हुई थी. इसी दौरान डॉ. नागेंद्र सिंह को चंदना के बारे में जानकारी हुई तो उन्होंने फोन से संपर्क किया और उसे अपने अस्पताल में बुलाया। इस दौरान चंदना की मुफ्त में सर्जरी हुई और वह अब स्वस्थ हो चुकी है.
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हर्निया में आंत फंस गया था
बहरागोड़ा निवासी 60 वर्षीय भतारण प्रधान हर्निया रोग से ग्रस्त था. बीमारी लंबे समय से होने की वजह से हर्निया में आंत फंस गया था, जो काफी खतरनाक माना जाता है. भतारण प्रधान आर्थिक रूप से काफी कमजोर है. उनके पास राशन कार्ड नहीं होने की वजह से आयुष्मान कार्ड भी नहीं बन सका है. भारतरण प्रधान कहते है कि डॉक्टर साहब नहीं होते तो उनकी जान इलाज के अभाव में चली जाती. वे इलाज के लिए बीते कई साल से भटक रहे थे लेकिन पैसा के अभाव में इलाज नहीं हो पा रहा था.
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बच्चेदानी में ट्यूमर लेकर भटक रही थी महिला
डिमना लेक स्थित गांव निवासी बारी सिंह सरदार (60) बच्चेदानी में ट्यूमर लेकर दर-दर भटक रही थी. बच्चेदानी से बार-बार रक्तस्त्राव होने की वजह से काफी कमजोर हो गई थी. पैसा की वजह से इलाज नहीं करा पा रही थी. बारी सिंह ने कहा कि उनके पास आयुष्मान कार्ड है लेकिन योजना में यह बीमारी दर्ज नहीं है, जिसके कारण योजना का लाभ उन्हें नहीं मिल सका. अब डॉ. नागेंद्र सिहं ने मुफ्त में उनकी सर्जरी कर जान बचायी.

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