‘सीजीपीसी परधानी विवाद’ : को बड़ छोट कहत अपराधू, मुखे बनाम इंदरजीत-बिल्ला खींचतान, नारेबाजी-विरोध प्रदर्शन

जमशेदपुर, 5 अप्रैल : सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी के प्रधान गुरमुख सिंह मुखे को लेकर सिख संगत ने सुलगी आग अब बाहर लपटें फेंकने लगी है. आज तख्त श्री पटना साहिब के उपाध्यक्ष इंदरजीत सिंह और सिख प्रतिनिधि बोर्ड के अध्यक्ष गुरुचरण सिंह बिल्ला अपने समर्थकों के साथ सीजीपीसी कार्यालय पहुंचे और यह कहते हुए कि गुरमुख सिंह मुखे आपराधिक पृष्ठभूमिवाले और हत्या के प्रयास में आरोपित व्यक्ति हैं, हमें ऐसा प्रधान नहीं चाहिये, नारेबाजी और विरोध किया. इस विरोध प्रदर्शन का वीडियो ‘चमकता आईना’ के साइट पर आज दिनभर वायरल हुआ, जिसे लोगों ने खूब शेयर किये. वीडियो में यह लोग कहते सुने गये कि मुखे अपराधियों को गुरुद्वारा में शरण देते हैं. हमें अपराधी प्रधान नहीं चाहिये. गुरुमुख सिंह मुखे ने आरक्षी अधीक्षक को ज्ञापन देकर कहा कि उनके खिलाफ साजिश कर सिख समाज में खुद आपराधिक पृष्ठभूमिवाले लोग उन्हें अपराधी बताकर बेदखल करना चाहते हैं, जबकि उनका चुनाव सीजीपीसी के विधान के तहत विधिवत हुआ. उन्होंने अपने विरोधियों के आपराधिक इतिहासों का उल्लेख करते हुए तीन पन्ने का एक ज्ञापन भी दिया और आशंका जताई कि ये लोग उनकी हत्या करा सकते हैं. अतएव पुलिस उन्हें सुरक्षा प्रदान करें. प्रधान को लेकर चल रहा यह विवाद सिख समाज के लिये अत्यंत ही अरुचिकर और गरिमा के खिलाफ देखा जा रहा है. जिसमें दोनों पक्ष एक दूसरे से शक्ति प्रदर्शन में उलझकर पूरी संगत की भावना का अनादर कर रहे हैं.
आज प्रदर्शन व नारेबाजी के बाद विरोधी गुट सिटी एसपी से जाकर मिला और अपना ज्ञापन सौंपा. इस गुट का कहना है कि अगर प्रशासन ने इस मामले की निष्पक्ष जांच नहीं करवाई तो सभी गुरुद्वारा कमिटियों के साथ डीसी कार्यालय के समक्ष धरना दिया जाएगा. गुरमुख सिंह मुखे के बारे में कहा गया कि वह फायरिंग के मामले में जेल से छूट कर आया है और इस घटना के गवाह सेवादार महेंद्र सिंह को प्रभावित करना चाहता है. प्रदर्शन में मानगो गुरुद्वारा के चेयरमैन कुलविंदर सिंह पन्नू, टिनप्लेट गुरद्वारा के महामंत्री सुरजीत सिंह खुशीपुर, गुरुचरण सिंह बिल्ला, परविंदर सिंह सोनी, शमशेर सिंह, गब्बर सिंह खत्री, सत्येंद्र सिंह रोमी समेत कई व्यक्ति शामिल थे.

मुखे की सफाई : अपना गिरेबां झांके विरोधी
दूसरी ओर गुरमुख सिंह मुखे ने कहा कि उन्हें एक साजिश के तहत गुरुचरण सिंह बिल्ला पर हुई फायरिंग के मामले में फंसाया गया है. गुरचरण सिंह बिल्ला मेरे खिलाफ न्यायालय में गवाही कराने में ध्यान दें, क्योंकि मैं निर्दोष हूं. मुझे जब न्यायालय से इस मामले में सजा हो जाएगी तो मैं खुद प्रधान पद की कुर्सी छोड़ दूंगा. मुखे का कहना है कि गुरुचरण सिंह बिल्ला, परमजीत सिंह उर्फ सोनी, मनोज खत्री उर्फ गब्बर खत्री, सत्येन्द्र सिंह रोमी, शमशेर सिंह, सुखविंदर सिंह द्वारा उन्हें निशाने पर लिया जा रहा है और वे लोग मेरी हत्या कराने की योजना बनाये हुए है. गुरुचरण सिंह बिल्ला पर पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. बेअंत सिंह की हत्या के फरार आतंकवादियों को जमशेदपुर में पनाह देने और पंजाब में ही उनके हत्यारों को छिपाने का आरोप है. इस मामले में पंजाब पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया था. उनकी निशानदेही पर आतंकवादियों द्वारा छिपाये गये हथियारों का जखीरा बरामद किया था. इस मामले में गुरुचरण सिंह को पांच साल की सजा और दो हजार रुपये का जुर्माना हुआ था. सिदगोड़ा सहित कई क्षेत्रों में उनके विरुद्ध आज भी मामले दर्ज है. मुखे ने बिल्ला पर झारखंड से पंजाब में मादक पदार्थों की सप्लाई करने का आरोप लगाया. उनका हथियार भी नागालैंड से गलत शपथ पत्र देकर जारी कराया गया है. बिल्ला को जमशेदपुर में जो कुछ लोग संरक्षण दे रहे हैं, उनपर भी कई मामले हैं, जिनपर वे जेल जा चुके हैं. बिल्ला के भाई परमजीत सिंह पर टाटा मोटर्स का माल सहित एक गाड़ी और ड्राइवर को अगवा करने और चोरी करने का आरोप है. इस मामले में परमजीत सिंह के अलावा मनोज खत्री, सुनील पांडे आदि का नाम आया था. इनके उपर सिदगोड़ा थाना में आपराधिक मामला भी दर्ज हुआ था. मनोज खत्री पर भी पानागढ़ के अलावा जमशेदपुर के विभिन्न थानों में मामले दर्ज है. मनोज खत्री गोलमुरी के किरण तिलवानी हत्याकांड में सजायाफ्ता बिनोद खत्री का भाई है. सत्येन्द्र रोमी का भी आपराधिक इतिहास है. उसके खिलाफ दर्ज सभी मामलों का मुखे ने एसपी को सौंपे गये ज्ञापन में उल्लेख किया है. शमशेर सिंह, सुखविंदर सिंह पर भी दर्ज मामलों का जिक्र करते हुए मुखे ने कहा कि ये लोग मुझे रास्ते से हटाने के लिये मेरी हत्या तक करा सकते हैं. मुखे ने इन लोगों को कुछ पुलिस पदाधिकारियों द्वारा संरक्षण देने का आरोप लगाया गया है और उनके नाम बताये गये हैं. इन तीनों पुलिसकर्मियों पर भी मुखी ने गंभीर आरोप लगाये हैं. तीन अधिकारियों ने बेहिसाब चल-अचल संपत्ति इकट्ठा की.

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