धर्म विशेष .लुपुंगडीह में श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान महायज्ञ, नवरात्रि व रामनवमी महोत्सव की तैयारियां शुरू

चांडिल : अनुमंडल का पवित्र माटी के गर्भ में अनेक ऐतिहासिक व धार्मिक गाथायें समाहित है। इस माटी में महान स्वतंत्रता संग्रामी गंगानारायण सिंह, रघुनाथ महतो, जिरपा लाया, राष्ट्रपिता के मानस पुत्री बासंती देवी, धनंजय महतो आदि के वीरता की सत्य घटना की कहानियां इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। उसी तरह विश्व प्रसिद्ध ताल बेताल सिद्ध महाराज विक्रमादित्य द्वितीय व उनके धर्मपत्नी प्रभा देवी की अनेक धार्मिक प्रवृत्तियों के कहानियां आज भी सुनी जाती है। प्रमाण के रूप में दयापुर गांव के पास सुवर्णरेखा नदी के बीच टापू में स्थित विशालकाय शिवलिंग, ऐतिहासिक छातापोखर तालब, ईचागढ़ गांव के आसपास अनेक देवी-देवताओं के प्राचीन मंदिर का निर्माण महाराज विक्रमादित्य द्वितीय ने कराया था। इसके अलावा जयदा, जारगो, दलमा पर्वत चोटी में आदि स्थानों में प्रशिद्ध प्राचीन शिवलिंग विद्यमान है।

धार्मिक अनुष्ठान द्वारा मनुष्यों को संस्कृति के जानकारी देने हेतु चांडिल अनुमंडल अंतर्गत नीमडीह प्रखंड के लुपुंगडीह शिव मंदिर प्रांगण के पावन धरती पर 14 से 20 अप्रैल तक भक्तों द्वारा बृहत रूप से श्रीमद्भागवत ज्ञान सप्ताह महायज्ञ का भव्य आयोजन किया जायेगा। जिसमें हरिद्वार के अंतराष्ट्रीय भारत भूषण संजेल जी महाराज व वृंदावन के पूज्य साध्वी देवी पद्माश्रि किंकरी देवी जी सात दिन तक मध्याह्न 2 से 4 बजे व रात्रि 8 से 10 बजे तक धार्मिक प्रवचन का अमृत वर्षा करेंगे।

धार्मिक कार्यक्रमों से ही होगी प्राचीन संस्कृति की रक्षा

धार्मिक कार्यक्रम आयोजन के संरक्षक सह धर्म प्रचारक जगदीश महतो व सुधीर गोराई ने संयुक्त रूप से कहा कहा कि प्राचीन संस्कृति की रक्षा व जीवों के कल्याण के लिए जगह-जगह धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि धर्म और संस्कृति एक दूसरे का पूरक हैं। धर्म में ही संस्कृति के सभी रूप समाहित है। धर्म के पथ पर चलकर ही मानव का कल्याण किया जा सकता है और मानव कल्याण धर्म का भी एक रूप है। मानव कल्याण से ही एक उन्नतशील राष्ट्र का निर्माण होगा।

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