नगर की वरिष्ठ महिला साहित्यकारों की संस्थाफुरसत मेंसाहित्यिक समूह ने आनलाइन होली मिलन का आयोजन किया, और रंगारंग गीतों, कविताओं से सजी एक शाम का आनंद उठाया,,किरण सिन्हा ने अपनी रचनाआज नहीं हर पल रंग लो, छोड़ो द्वेष विषाद, हंसो सभी,,तो सुधा अग्रवाल की कविता ने मादकता का संचार कियाबसंत की तरणी बौराई,जब होली ने दिया मुखड़ा खोल,बाज उठी मन की शहनाईकवयित्री पद्मा मिश्रा की कविता ने समां बांधाफागुनी हवाओं ने गीत नया गाया है,सपनीली आंखों में स्नेह उतर आया है*होली की मस्ती को आगे बढाते हुए लोकगायिका वीणा पाण्डेय ने एक गीत सुनाया,,कहीं लागल टिकोरा बा
कहीं फगुआ गठाइल बा,, *
छाया प्रसाद के भोजपुरी गीत ने माहौल को फागुनी रंग में रंग दियाआइल फगुनवा बयार हो,चुनरीभीज जाला*संस्था की अध्यक्ष आनदबाला शर्मा ने कुछ हाइकु कविताएं सुनाई जिसे सभी ने सराहा,बरस बाद
मौसम फगुनाया
मन हर्षाया
खिले पलाश
रक्तिम चहुँओर
बीता फागुन
इंदिरा तिवारी ने**अबकी होली दूर से है
दूरियों से कह ज़रा,और गाढ़ा रंग तेरा
मुझपे अबके चढ़ गया,, , वरिष्ठ कवयित्री सुधा अग्रवाल की कविता*
सरितकिशोरी श्रीवास्तव, मनीला,सरिता सिंह,आदि भी उपस्थित रहीं,