एक्सक्लूसिव
जमशेदपुर : शहर में बढ़ते कोरोना आम लोगों से लेकर जिला प्रशासन के कान खड़े कर दिए हैं। चिंता की बात यह है कि यह ग्राफ बढ़ता ही जा रहा है। बीते 27 मार्च को गोविंदपुर थाना अंतर्गत खैरबनी बैदनाडीह की 55 वर्षीय महिला की मौत कोविड-19 से हुई थी। महिला की तबीयत खराब होने के बाद टाटा मोटर्स कोविड अस्पताल में भर्ती कराया गया था जिसकी मृत्यु 28 मार्च को हो गई थी। इसके बाद जिला की स्वास्थ टीम पंचायत प्रतिनिधियों के साथ होली के बाद आज मंगलवार को गांव का दौरा निर्धारित था। यहां जाकर पूरे गांव के लोगों का आरटीपीसीआर टेस्ट करना था। परंतु पूरे टीम को गांव वालों ने गांव में घुसने से रोक दिया। स्वास्थ्य टीम खैरबनी बैदनाडीह, शांतिपुर गांव सुबह के 10:30 बजे पहुंची, जहां स्थानीय गोपाल दास एवं निताई दास समेत अन्य लोगों ने टीम को गांव में घुसने से रोकते हुए खदेड़ना शुरू कर दिया। इस दौरान ग्रामीणों के साथ टीम के लोगों का नोकझोंक भी हुआ। गांव वालों का कहना था कि 10 दिन बाद टेस्ट करने की इजाजत दी जाएगी। इस पर टीम ने कहा कि तब तक काफी देर हो जाएगी। संक्रमण की संख्या पूरे गांव को चपेट में ले लेगी, परंतु टीम की दलील को दरकिनार करते हुए गांव से बाहर जाने का फरमान सुना दिया। टीम में मुख्य रूप से एएनएम सरस्वती, पूनम, डॉक्टर सुधीर झा एवं कई पंचायत प्रतिनिधि शामिल रहे।
बीडीओ को किया रिपोर्ट फोर्स तैनाती की मांग
टीम में शामिल उप मुखिया संघ के अध्यक्ष सतवीर सिंह बग्गा ने बताया कि टीम जब पूरे गांव के लोगों का कोरोना टेस्ट के लिए गया तो गांव के सीमा में ही रोक दिया गया। टीम ने बताया कि लोगों का आरटीपीसीआर टेस्ट जरूरी है, क्योंकि यहां एक महिला की मौत हो चुकी है।बावजूद उसके टीम को भगाए जाने की रिपोर्ट वीडियो को बता दिया गया है। उन्होंने मांग किया कि गांव का टेस्ट उसी वक्त हो सकता है जब गांव में पुलिस फोर्स की तैनाती हो। तभी गांव के लोगों का टेस्ट हो सकता है। इस गांव में करीब 15 से 20 घर हैं।