राज्य में भ्रष्टाचारियों को राजनीतिक संरक्षण : कुणाल

कई विभागों में अवैध नियुक्तियों पर रखी बात, सीबीआई जांच की मांग
जमशेदपुर : भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता एवं पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने राज्य सरकार के विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार और कार्य संस्कृति पर हमला बोला. साकची पार्टी कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने गृह, स्वास्थ्य, खाद्य आपूर्ति, उत्पाद समेत अन्य विभागों में अवैध नियुक्ति एवं टेन्डर प्रक्रियाओं में गड़बड़ी करने का आरोप लगाया. इसके लिये सीबीआई जांच की मांग उन्होंने की. कहा कि एक ओर ईमानदार अफसरों को फाइलों की पेंच में उलझाकर रखते हुए भ्रष्टाचार को प्रोत्साहन देनेवालों को मनचाही पोस्टिंग दी जा रही है.
भाजपा प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि झारखंड सरकार शराब कारोबारियों के आगे नतमस्तक हो चुकी है. कहा कि बंगाल चुनाव को देखते हुए बीते 22 मार्च को उत्पाद विभाग ने सर्कुलर जारी की थी कि चुनाव ख़त्म होने तक राज्य के दस जिलों में शराब बिक्री पर पूर्णत: रोक रहेगी, लेकिन शराब कारोबारियों के दबाव में आकर सरकार ने वह आदेश वापस लिया और सशर्त ग्रामीण क्षेत्रों में ड्राई डे की घोषणा की. हाल के दिनों में खासमहाल की जमीन पर कब्जा करने के संदर्भ में उन्होंने ‘बड़ी मछली’ पर कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाते हुए कहा कि जिला प्रशासन भू-माफिया पर कार्रवाई नहीं कर राजनीतिक दबाव में निर्दोषों पर कार्रवाई कर रही है. पत्रकार वार्ता में महानगर अध्यक्ष गुंजन यादव, महामंत्री राकेश सिंह, मीडिया प्रभारी प्रेम झा भी मौजूद थे.

कोरोनाकाल में हुए ट्रांसफर-पोस्टिंग की जांच हो

उन्होंने सरकार के ट्रांसफर पोस्टिंग उद्योग पर भी हमला बोला. कहा कि राज्य में प्रशासनिक पदाधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट के प्रावधानों को खिलाफ इधर से उधर करने की कार्यशैली जारी है. ईमानदार और प्रतिभाशाली अफसरों को सचिवालय में फाइलों में उलझाकर रखा गया है और जो राजनीतिक संरक्षण में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाले हैं ऐसे तमाम अफ़सरों की पोस्टिंग फील्ड में की जा रही है. उन्होंने कोरोना काल के सभी ट्रांसफर पोस्टिंग की सूचियों की जांच की मांग उठाई है.

‘बाबा कंप्यूटर्स’ को काम देने में भी गड़बड़ी

श्री षाड़ंगी ने खाद्य आपूर्ति विभाग पर आरोप लगाते हुए कहा कि विभाग की उपलब्धियों को टेलीफोन के माध्यम से लाभुकों तक पहुंचाने का कार्य रांची के ‘बाबा कंप्यूटर्स’ को दिया गया. इस काम के लिए उक्त कंपनी को सरकार के दूसरे विभागों द्वारा दिए जानेवाले पैसे से 800 प्रतिशत अधिक राशि दी गयी. ऐसे वॉयस कॉल के लिए राज्य का सूचना एवं जनसंपर्क विभाग 10 पैसे प्रति कॉल लेता था जबकि बाबा कंप्यूटर्स को 81 पैसे प्रति कॉल की दर से यह काम दिया गया.

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