TMC के आरोपों पर चुनाव आयोग ने दिया कड़ा जवाब, बताया कौन संभाल रहा है बंगाल की कानून व्यवस्था

कोलकाता
नंदीग्राम में पश्चिम बंगाल की मुख्?यमंत्री ममता बनर्जी के पैर में लगी चोट को लेकर राजनीतिक हलचल तेज होती जा रही है। इस घटना के विरोध में तृणमूल कांग्रेस शुक्रवार को पूरे बंगाल में काले झंडों के साथ मौन प्रदर्शन करने की तैयारी में है। इसके अलावा टीएमसी सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल दिल्?ली में चुनाव आयोग के अधिकारियों से मिलने भी जा रहा है। इस बीच, गुरुवार शाम चुनाव आयोग ने टीएमसी की चि_ी पर बेहद कड़ा जवाब दिया है। आयोग का कहना है कि यह आरोप पूरी तरह से गलत है कि चुनाव आयोग ने बंगाल में चुनाव कराने के लिए यहां की कानून व्?यवस्?था को पूरी तरह अपने हाथ में ले लिया है।
चुनाव आयोग ने कहा कि ममता बनर्जी पर हमला वास्तव में एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। इसकी सही तरीके से जांच की जरूरत है। टीएमसी के पत्र का जवाब देते हुए चुनाव आयोग ने कहा है कि जब तक ममता बनर्जी पर हुए हमले की रिपोर्ट आयोग को नहीं मिल जाती, तब तक इस मामले को डीजेपी वीरेंद्र को हटाने से जोडक़र देखना और कोई अनुभवजन्?य निष्?कर्ष निकालना संभव नहीं होगा। आयोग ने कहा कि डीजपी वीरेंद्र की तरह एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) को भी विशेष पर्यवेक्षकों से विचार-विमर्श के बाद हटा दिया गया था। जब चुनावों की घोषणा हो चुकी है, तो राज्य सरकार से परामर्श करना कानूनी रूप से आवश्यक या अनिवार्य नहीं है क्योंकि ये सामान्य रूप से अस्थायी उपाय हैं।
डीजीपी को हटाने के अगले ही दिन हुआ ममता पर हमला: ञ्जरूष्ट
दरअसल, चुनाव आयोग को लिखे अपने पत्र में टीएमसी ने कहा था कि चुनावों की घोषणा के बाद राज्?य की कानून व्?यवस्?था की पूरी जिम्?मेदारी चुनाव आयोग की होती है। ऐसे में नंदीग्राम में ममता बनर्जी पर हमला हो गया। चुनाव आयोग ममता को सुरक्षा उपलब्?ध कराने में पूरी तरह नाकामयाब रहा। टीएमसी ने यह भी आरोप लगाया था कि बंगाल के डीजीपी वीरेंद्र को हटाए जाने के एक दिन बाद ही नंदीग्राम में ममता बनर्जी पर हमला हो गया। टीएमसी नेताओं ने यह भी कहा था कि बीजेपी के एक सांसद ने डीजीपी को हटाए जाने के बाद कहा था कि अब 10 मार्च को देखिए क्?या होता है।
‘संकेत मिलने के बावजूद ममता को नहीं दी गई सुरक्षा’
गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने मंगलवार को वीरेंद्र को पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक पद से तत्काल प्रभाव से हटाने का आदेश दिया था और उनकी जगह पी नीरजनयन को नियुक्त किया था। तृणमूल महासचिव पार्थ चटर्जी ने दावा किया कि वरिष्ठ बीजेपी नेताओं के कई बयानों से ये पर्याप्त संकेत मिले थे कि ममता पर हमला हो सकता है और ये जानकारियां होने के बावजूद मुख्यमंत्री को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया नहीं कराई गई।

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