चांडिल : महाशिवरात्रि के पवित्र अवसर पर चांडिल अनुमंडल के जयदा स्थित प्राचीन बुढ़ाबाबा मंदिर, 3000 फीट ऊंची दलमा पर्वत चोटी पर स्थित प्राचीन शिव मंदिर, कुकड़ू प्रखंड के जारगो में स्थित प्रसिद्ध प्राचीन शिव मंदिर तथा विभिन्न शिवालयों में पूजा-अर्चना व जलाभिषेक के लिए भक्तों के भीड़ उमड़ी। इस अवसर पर ”बम बम भोले, हर हर महादेव” आदि जयघोषों से वातावरण शिवमय हो गया। इसके साथ ही कहीं भगवान शंकर की बाराती निकाली गई तो कहीं नृत्य-गीत आयोजन कर शंकर-पार्वती का विवाहत्सोव मनाया जा रहा है। चांडिल प्रखंड अंतर्गत दलमा के तराई में स्थित चाकुलिया गांव में विवाहत्सोव तीन दिन तक विभिन्न रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित कर मनाया जायेगा।
हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का धार्मिक महत्व है तो वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि महाशिवरात्रि के पावन दिन पर भगवान भोलेनाथ व माता पार्वती का विवाह हुआ था। महाशिवरात्रि के दिन उपवास रहकर शंकर जी का पूजा अर्चना करने से सभी पापों का नाश होता है। भगवान शिव जी की वेशभूषा अन्य देवी देवताओं से अलग है। भोलेनाथ शरीर पर चिता की भस्म लगाते हैं, गले में रुद्राक्ष धारण करते हैं और नंदी बैल की सवारी करते हैं। भूत, प्रेत, निशाचर आदि भगवान शिव जी के अनुचर हैं। ऐसा भयंकर रूप धारण करने के बाद भी शंकर जी मंगलकारी देवता हैं जो श्रद्धालुओं के पूजन से प्रसन्न होकर उनके दुःख कष्ट को हर लेते हैं और श्री व संपत्ति भी प्रदान करते हैं। महाशिवरात्रि की कथा में प्रभु नीलकंठ महादेव के इसी दयालु और कृपालु स्वभाव का वर्णन किया गया है।
लखनऊ के स्कूल ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज के महानिदेशक सह वैदिक विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष डॉ0 बी0 आर0 सिंह ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण को परिभाषित किया है कि शिवलिंग एक महाशक्ति का पिंड है, वह ब्रह्मांडीय शक्ति को अपने अंदर सोखता है। रुद्राभिषेक, जलाभिषेक, भस्म आरती, बेलपत्र, गांजा, भांग आदि चढ़ाकर पूजा-अर्चना कर श्रद्धालु उस शक्तिशाली ऊर्जा को अपने में ग्रहण करते हैं। इसके द्वारा मन व विचारों में शुद्धता और शारीरिक रोग-व्यधियों के कष्ट का निवारण होना स्वाभाविक है।
दलमा पाट शिव थान सेवा समिति भक्तों को करते हैं मदद
दलमा पर्वत चोटी पर स्थित प्राचीन शिव मंदिर के मुख्य लाया कार्तिक सिंह सरदार, लाया विजय सिंह सरदार व गुरुचरण सिंह सरदार, समिति के अध्यक्ष सुचाँद सिंह सरदार, माणिक सिंह, बांधडीह के ग्राम प्रधान भानुप्रताप सिंह, श्यामलाल सिंह आदि भक्तों को पूजा-अर्चना में हर तरह की मदद करते हैं।