‘साइकिल- मोटरसाइकिल से कोयला चोरी की बिग इकॉनमी’
Dhanbad,10 March:पुलिस और प्रशासन की निगाह सिर्फ सॉफ्टकोक और हार्डकॉक तथा कोल डिपुओं पर रहती है।लेकिन सभी चिमनी ईंट भट्ठों में आग की फुंकाई के साथ प्रतिदिन हजार टन चोरी का कोयला खपता है।इसकी कीमत लगभग 50 से 60 लाख होती है।ये भट्ठे प्रायः 210 से 230 दिन नॉन स्टॉप चलते हैं।इसप्रकार पूरे सीजन में अवैध तरीके से 2 लाख 10-20 हजार टन कोयला छाई में तब्दील हो जाता है।धनबाद की विभिन्न कोलियरियों से बूंद- बूंद निकला चोरी का कोयला समंदर में बदल जाता है।
भट्ठा मालिक 6-7 हजार रुपये प्रति टन का स्टीम कोयला मात्र दो से ढाई हजार रु टन की कीमत पर गिराते हैं।संबंधित क्षेत्र का थाना इस चोरी के कोयले के उपयोग की छूट देने के एवज में 40 से 50 हजार रुपये प्रति माह लेता है।फिर पूरे मजे से मानसून आने तक यह धंधा बदस्तूर चलता रहता है।स्कूटर,मोटरसाइकिल अपनी रफ्तार पर है, जबकि पहले केवल साइकिल वालों को कोयला ठेलने ढोने की अघोषित छूट रहती थी।इस तरह एक भट्ठा मालिक सिर्फ चोरी के कोयले से 30 से 40 लाख रुपए मात्र छह सात महीनों में कमा लेता है।अगर इन्हें 1 नंबर का वैध कोयला खरीदना पड़े तो 80 फीसदी भट्ठे बंद हो जाएंगे।प्रशासन अगर इसपर नजर रखे तो भारी सरकारी राजस्व की और सम्पति की चोरी पर अंकुश लग सकता है।