Jamshedpur,9 March.सांसद विद्युत वरण महतो ने आज केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार से मुलाकात की और प्रस्तावित वित्त विधेयक में संशोधन की मांग की .टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष संजीव कुमार चौधरी के साथ केंद्रीय श्रम मंत्री से मिलकर सांसद श्री महतो ने कहा कि नए वित्त विधेयक 2021 में प्रस्तावित संशोधन- भविष्य निधि में कर्मचारियों के अंशदान पर अर्जित ब्याज-आय पर (वार्षिक सीमा 2.50-दो लाख पचास हजार रूपए उपरांत) कर छूट को समाप्त करने का प्रस्ताव है। इस प्रस्ताव के कारण देश के श्रमिक वर्ग में विभिन्न प्रकार की आशंका उत्पन्न हो रही है। इस संबंध में विभिन्न श्रमिक संगठनों एवं उनके नेतृत्व के द्वारा ज्ञापन दिया जा रहा है एवं इस संबंध में पुर्नविचार करने का आग्रह किया जा रहा है।
देश की सबसे पुरानी एवं बड़ी ट्रेड यूनियन टाटा वर्कस युनियन द्वारा भी एक ज्ञापन समर्पित किया गया है जिसमें कहा गया है कि आयकर नियम 1961 के वर्तमान खंड/अनुभाग 10(11) व 10(12) क्रमशः वैधानिक भवष्यि निधि (SPF) और मान्यता प्राप्त भविष्य निधि (RPF) के लिए छूट प्रदान करती है, जिसमेंः-
a) कर्मचारी भविष्य निधि ( EPF) खाते में जमा राशि पर हर साल किसी भी ब्याज को कर मुक्त किया जाता है।
b) EPF अन्तर्गत जमा छूट, छूट व कर छूट की श्रेणी के अन्तर्गत आती है।
c) किसी कर्मचारी द्वारा किए गए निवेश पर व उक्त राशि पर ब्याज अर्जित करने एवं निकासी पर कर का भुगतान करने के लिए वह बाध्य नहीं है।
हालांकि नए वित्त विधेयक 2021 के प्रस्तावित संशोधन में आयकर अधिनियम 1961 के खंड/अनुभाग 10(11) व 10(12) पेश किया गया है, जो कि निम्नानुसार है।
‘‘यह प्रदान करना कि इन धाराओ का प्रावधान उस व्यक्ति के खाते में पूर्व की अवधि के दौरान अर्जित ब्याज आय पर लागु नहीं होगा, जो उस राशि से संबंधित अंशदान की राशि या एग्रीगेट से है जो किसी व्यक्ति द्वारा पिछले वर्ष में 2,50,000/- (दो लाख पचार हजार रूपए) से अधिक की राशि का है जो कि अप्रैल 2021 के पहले दिन या उसके बाद वर्ष और एैसे तरीके से गणना की जा सकती है जो कि पुर्व निर्धारित है।
इस प्रकार नए बिल 2021 के खंड संख्या 5 के अनुसार किसी भी कर्मचारी के द्वारा SPF व RPF से उपर के किसी भी अंशदान पर ब्याज 1 अप्रैल 2021 से कर योग्य होगा।
इसके अलावा उन्हें यह भी आशंका है कि नए श्रम संहिता क प्रभाव को जल्द ही अधिसूचित किए जाने की संभवना है, जिसमें कुल पारिश्रमिक का कम से कम 66 प्रतिशत मूल वेतन के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा, जिसे कर बचत के लाभ के बिना अधिकांश कर्मचारियों द्वारा अधिक ईपीएफओ (EPFO) में अंशदान होगा जो कि 2.5 लाख की योगदान सीमा के उपर होगा। इसके अलावा, यह निचे दिए गए परिणामों की ओर ले जाएगाः-
1. उपरोक्त सीमा के योगदान पर ब्याज आयकर दाता की कुल कर योग्य आय का हिस्सा बन जाएगी, इसलिए एैसी आय पर प्रचलित आयकर दरों पर कर लगाया जाएगा।
2. अगर किसी कर्मचारी का EPF & VPF एक वित्तिय वर्ष में कुल योगदान सीमा से अधिक हो जाती है तो अतिरिक्त योगदान पर अर्जित ब्याज पर कर लगाया जाएगा।
श्री महतो ने जोर देते हुए कहा कि ईपीएफ के तहत बचाया गया पैसा एकमात्र राशि है जो बृद्धावस्था के दौरान वित्तिय सुरक्षा या स्थिरता प्रदान करता है। जिस समय कर्मचारी के पास आय का कोई स्त्रोत नहीं होता है।
पीएफ ब्याज पर कर लगाने से सेवानिवृत कर्मचारियों के हितों की रक्षा नहीं हो पाएगी और उनके गरिमापूर्ण एवं सामाजिक सुरक्षा में भी कमी आने की संभावना है।
सांसद ने यूनियन की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि वित्त विधेयक 2021 में उपर्युक्त संशोधनों को लाने पर पुर्नविचार किया जाए ताकि कर दायरे से पीएफ के लिए सांविधिक योगदान को पूरी तरह से छूट दी जा सके जिससे सेवानिवृत होने के उपरांत सेवानिवृत कर्मचारी एक गरिमामय जीवन यापन कर सकें।
श्री महतो ने कहा की इन परिस्थितियों में इस सीमा को बढ़ाकर दस लाख रूपया कर दिया जाए ।इससे सेवानिवृत्त कर्मचारियों को राहत मिलेगी ।श्री गंगवार ने सभी बातों को गौर पूर्वक सुना और कहा कि वह इस पर अपने विभाग में मंत्रणा करेंगे और इस संबंध में जनहित में समुचित निर्णय लेंगे । प्रतिनिधिमंडल में टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष के अलावा महामंत्री सतीश कुमार सिंह भी शामिल थे