Ranchi, 9 March. झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य में एक परिवार के पांच सदस्यों की दिल दहलनेवाली हत्याओं के मामले पर स्वतः संज्ञान लिया है जिनमें एक पांच साल का बच्चा भी शामिल है। कथित तौर पर एक चुड़ैल के शिकार(विच-हंट) के परिणामस्वरूप यह हत्याएं की गई हैं। मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने इस मामले पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि आधुनिक सभ्य समाज में अभी भी जादू -टोना की बुराई जारी है। बेंच ने कहा कि, ”यह न केवल शर्मनाक है, बल्कि पूरी व्यवस्था पर एक गंभीर सवाल भी खड़ा करता है कि वर्तमान आधुनिक सभ्य समाज में इस तरह की घटनाएं कैसे हुई हैं?”
कोर्ट ने राज्य के अधिकारियों को एक हलफनामा दायर करने के लिए कहा है, जिसमें स्पष्ट रूप से उन कार्रवाई का संकेत दिया जाए,जो वह करना चाहते हैं ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटना से बचा जा सके। आदेश में कहा गया है कि, ”यह एक सही समय है जब राज्य के अधिकारियों को गहरी नींद से जाग जाना चाहिए और इस पर सोचना चाहिए और कुछ गंभीर कदम उठाने चाहिए। उनको न केवल उपचारात्मक उपाय करने चाहिए, बल्कि इस तरह की बुराइयों के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए गंभीर कदम उठाने चाहिए।
हम राज्य के अधिकारियों को विशेष रूप से प्रमुख सचिव,गृह विभाग, झारखंड सरकार और प्रमुख सचिव, समाज कल्याण विभाग, झारखंड सरकार के साथ-साथ पुलिस महानिदेशक, झारखंड, रांची को निर्देश देते हैं कि वह इस घटना के संबंध में अपने-अपने हलफनामे दायर करें। इन हलफनामों में यह भी बताया जाए कि उन्होंने इस मामले में क्या कार्रवाई की है या वह क्या कार्रवाई करना चाहते रहे हैं ,ताकि इस प्रकार की घटना से बचा जा सके।” कोर्ट ने एक अखबार की रिपोर्ट के आधार पर इस मामले में संज्ञान लिया है, जिसमें खुलासा किया गया है कि गुमला के बुरूहातू-अमतोली पहाड़ की ग्राम परिषद ने एक परिवार के पांच सदस्यों को ‘चुडै़ल’ घोषित करते हुए मौत की सजा सुना दी थी जिसके बाद उनकी हत्या कर दी गई। खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि झारखंड विधिक सेवा प्राधिकरण पहले ही विभिन्न योजनाओं आदि के माध्यम से जादू टोना प्रथा और अन्य चीजों की बुराइयों को मिटाने के लिए काम कर रहा है। हालांकि, कथित घटना के प्रकाश में, बेंच ने कहा कि, ”ऐसा प्रतीत होता है कि हम अभी भी पिछड़े हुए हैं।” इस प्रकार पीठ ने सदस्य सचिव, जेएचएएलएसए से कहा है कि वह इस मामले में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से एक जांच करवाएं और अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करें।खंडपीठ ने स्पष्ट किया है कि, ”कानूनी सेवा प्राधिकरण की टीम को जांच के दौरान पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराई जानी चाहिए, क्योंकि मामला बहुत संवेदनशील है। हम उपायुक्त, गुमला और पुलिस अधीक्षक, गुमला को निर्देश देते हैं कि वह इस संबंध में विशेष रूप से जांच के दौरान विधिक सेवा प्राधिकरण की टीम ‘ को सुरक्षा प्रदान करेंगे।