रांची,s स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग के अधीन झारखंड राज्य आयुष स्वास्थ्य सेवा संवर्ग के आयुष चिकित्सकों को गतिशील सुनिश्चित वृति उन्नयन योजना (डायनेमिक एसीपी) से संबंधित प्रस्ताव को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्वीकृति दे दी है। अब इस प्रस्ताव पर मंत्रिमंडल की मंजूरी ली जाएगी। ज्ञात हो कि आयुष चिकित्सकों को गतिशील सुनिश्चित वृति उन्नयन योजना के तहत वार्षिक व्यय भार लगभग 1,08,01,680 रुपए पड़ेगा।
सदन में बना रहा गतिरोध, कार्यस्थगन पर छिड़ी बहस
झारखंड विधानसभा के बजट सत्र की पहली पाली कार्यस्थगन की बहस में उलझ कर रह गई। भाजपा ने परंपरा का हवाला देते हुए स्पीकर रबींद्र नाथ महतो पर विधि व्यवस्था पर लाए गए कार्यस्थगन को लेने के लिए दबाव बनाया, वहीं स्पीकर ने झारखंड विधानसभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियमावली का हवाला देते हुए नियमन दिया कि कार्यस्थगन शून्य काल के बाद और ध्यानाकर्षण के पहले ही लिया जाएगा। परंपरा बनाम नियमावली की बहस जिरह में तब्दील हो गई। भाजपा विधायकों ने वेल में उतरकर न सिर्फ अपना विरोध दर्ज कराया बल्कि नारेबाजी भी की। शोरगुल का स्वर तेज होने पर स्पीकर ने पहली पाली में विधानसभा की कार्यवाही 12.30 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। परिणाम यह रहा कि प्रश्न काल और ध्यानाकर्षण नहीं हो सका, शून्य काल की सूचनाएं पढ़ी हुई मान ली गईं।
फिर वेल में आए भाजपा विधायक, बाधित हुई कार्यवाही, नहीं चल सका प्रश्न काल
दूसरी पाली में बजट भाषण पर सत्ता पक्ष और विपक्ष में वाद विवाद हुआ, सामान्य चर्चा के सरकार के जवाब के दौरान विपक्ष ने वॉकआउट किया और सत्र की कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी गई। शुक्रवार को सदन की कार्यवाही शुरू होते ही भाजपा विधायकों ने बढ़ते अपराध, उग्रवाद और बिगड़ती विधि व्यवस्था पर लाए गए कार्यस्थगन को पढ़ने के लिए स्पीकर रबींद्र नाथ महतो पर दबाव बनाया। स्पीकर ने स्पष्ट किया कि कार्यस्थगन के समय में फेरबदल किया गया है। कार्यस्थगन सूचनाएं शून्य काल के बाद और ध्यानाकर्षण से पूर्व ली जाएंगी। इस पर भाजपा विधायक भानू प्रताप शाही ने परंपरा का हवाला देते हुए कहा कि कार्यस्थगन पहले आना चाहिए।
विपक्ष ने दिया परंपरा का हवाला, स्पीकर ने पढ़ाया नियमावली का पाठ
स्पीकर रबींद्र नाथ महतो और संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने भाजपा विधायकों को नियमावली का पाठ पढ़ाया। कहा, नियमावली देख लें। भाजपा विधायक भानु प्रताप शाही ने कहा कि अब तक की परंपरा कार्यस्थगन पहले लेने की रही है। विपक्ष की ओर इशारा कर कहा कि आपलोगों ने मुख्यमंत्री प्रश्न काल हटा दिया, कहीं न कहीं आपलोगों का दबाव आसन पर है। इतना कहते ही भानु समेत कुछ भाजपा विधायक वेल में आ गए। स्पीकर को आसन के दबाव की बात नागवार गुजरी, उन्होंने कहा कि आसन किसी के दबाव में नहीं है। आसन नियमावली से चल रहा है, किताब आज की नहीं है।
स्पीकर ने दोबारा स्पष्ट किया कि हमने नियमन दे दिया है। कार्यस्थगन ध्यानाकर्षण से पूर्व ही पढ़ा जाएगा। भाजपा विधायक मनीष जायसवाल ने कहा कि कार्यस्थगन का मतलब है कि सभी कार्य रोककर चर्चा कराई जाए। आपके नियमन से इस शब्द के मायने ही बदल जाएंगे। इतना कहते ही भाजपा के तमाम विधायक तख्ती लेकर वेल में उतर गए और नारेबाजी शुरू कर दी। स्पीकर ने प्रश्न काल चलाने की कोशिश की लेकिन उनके प्रयास शोरगुल में दब गए। अंतत: स्पीकर ने सदन की कार्यवाही 12.30 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
12.34 बजे दोबारा कार्यवाही शुरू होने पर स्पीकर ने भानु प्रताप शाही, मनीष जायसवाल, अमित मंडल द्वारा बढ़ते अपराध, उग्रवादी घटनाएं और विधि व्यवस्था की खराब होती स्थिति पर लाया गया कार्यस्थगन पढ़ा और यह कहते हुए इसे अमान्य करार दिया कि चलते सत्र में इस पर चर्चा संभव है। स्पीकर ने अनंत ओझा द्वारा गैर मजरुआ व फारेस्ट भूमि के अवैध रूप से हो रहे निबंधन और इसमें अधिकारियों की संलिप्तता से जुड़ा कार्यस्थगन भी इसी आधार पर अमान्य करार दिया। भाजपा विधायकों ने इसपर विरोध दर्ज कराया और वेल में आए गए। शोर बढ़ता देख विधानसभा की कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
स्पीकर ने शुक्रवार को 12.30 के बाद सदन चलाने की कोशिश की, सत्ता पक्ष ने दर्ज कराया विरोध
झारखंड विधानसभा में शुक्रवार को विधानसभा की कार्यवाही पहली पाली में दोपहर 12.30 बजे तक ही चलती है। पहली पाली में उत्पन्न व्यवधान के बाद 12.34 बजे जब सदन की कार्यवाही शुरू स्पीकर ने सदस्यों ने आग्रह किया कि जिन्हें नमाज पढ़ने जाना है वे चले जाएं और इसके बाद उन्होंने सदन की कार्यवाही जारी रखनी चाही। विधायक इरफान अंसारी ने इसका विरोध दर्ज कराया। प्रदीप यादव ने भी कहा कि पहले से शुक्रवार को 12.30 बजे तक की व्यवस्था रही है, जिसे लागू रहना चाहिए।